टॉन्सिल्स के लिए टेबलेट नाम, सिरप व 7 बेस्ट अंग्रेजी दवा

tonsils ke liye tablet.

टॉन्सिल्स के लिए टेबलेट नाम । बदलते हुए मौसम में कई प्रकार संक्रमण होते हैं । जिनमे से गले का संक्रमण भी एक है । जो की आगे जाकर टॉन्सिल का रूप ले लेता है । जो कि रोगी को बहुत परेशान करता है । टॉन्सिल्स गले संबंधित हैं। यह गले में दोनों तरफ जीभ के अंतिम सिरे पर स्थित है । जिनका काम बाहरी संक्रमण से शरीर की रक्षा करना है।

आम तौर पर टॉन्सिल का काम गले के माध्यम से प्रवेश करने में रोकने का कार्य करता है। यह अक्सर ठंड के मौसम या मौसम के बदलाव के कारण भी होता है जिसके कारण गले में खराश जैसी समस्या होने लगती है।

एक्सपर्ट के अनुसार टॉन्सिल जैसी समस्या से बचने के लिए रोगी को दवाओं का सेवन करने के साथ खानपान का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है । वही कुछ घरेलु उपाय के द्वारा भी बचाव भी किया जा सकता है । तो चलिए जानते हैं – टॉन्सिल के बारे में –

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टॉन्सिल के लक्षण व कारण –

मौसम के बदलाव के कारण व्यक्ति को सर्दी खांसी और जुकाम जैसी समस्या होने लगती है । उसे नजरअंदाज करना बड़ी भूल हो सकती हैं क्योंकि इन दिनों में टॉन्सिल के बढ़ने की ज्यादा संभावना रहती हैं ।

आमतौर पर इंफेक्शन या संक्रमण ही कह सकते हैं जो गले में अक्सर ठंडी के मौसम में होती है। गले में टॉन्सिल बढ़ने के कारण दर्द और किसी भी चीज को खाने और निकलने के व्यक्ति को बहुत परेशानी होती है। विशेषज्ञों के अनुसार बढ़ने का कारण गलत खानपान और सफाई पर पूरी सतर्कता ना रखने के कारण भी हो सकता है। गले के खूनी भाग में सूजन होने के कारण गले या भाग व्यक्ति में निगलने की समस्या होने लगती है।

टॉन्सिल्स बढ़ने का मुख्य कारण गले में संक्रमण का बढ़ता रूप है। टॉन्सिल असल में गले में किसी हानिकारक अवयव से बचाव का काम करती है । इसलिए इसका ठीक होना बहुत ही जरूरी है ,इसके कारण कई तरह के दुष्प्रभाव शरीर में पड़ने लगते हैं।

जरूरी है कि खाने पीने में ऐसे तत्वों का इस्तेमाल ना करें जिससे टॉन्सिल बढ़ती है । फ्रीज का या ठंडा चीज से बचाव ही इसमें मुख्य कारण है मौसम के बदलाव और ठंड में यह बीमारी अधिक सक्रिय हो जाती है औषधि और दवाई के माध्यम से तो इसका निदान है।

टॉन्सिल्स के लिए टेबलेट का नाम

टॉन्सिल के कारण हुए गले में कई परेशानियों का निदान है लेकिन डॉक्टर के परामर्श से ही ले कुछ दवाइयां ऐसी हैं जो कि टॉन्सिल्स के टेबलेट के रूप में मार्केट में और मेडिसिन दुकान में उपलब्ध हो जाते हैं। एसिटामिनोफेन या इबुप्रोफेन यह दोनों दवा टॉन्सिल में दर्द को निवारण के लिए डॉक्टर के परामर्श पर दिए जाते हैं।

टॉन्सिल के ट्रीटमेंट के लिए डॉक्टर्स ज्यादातर एंटीबायोटिक दवाओं से उपचार किया जाता है जो पेनिसिलिन नामक दवाओं का समूह होता हैं । जिनका सेवन 8 – 10 दिन के लिए किया जाता हैं ।

इसी प्रकार कुछ आयुर्वेदिक व होम्योपेथिक दवाए भी मार्केट में उपलब्ध है । लेकिन इस बात का ध्यान रखे कि इनका सेवन योग्य डॉक्टर कि सलाह से करे । इन दवाओं के नाम इस प्रकार है –

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टॉन्सिल्स के लिए टेबलेट नाम की लिस्ट –

टॉन्सिल जैसी प्रॉब्लम दूर करने के लिए ज्यादातर डॉक्टर्स Hexidine नामक माउथ वॉश का उपयोग करते है । इस दौरान यदि रोगी को फिवर हो तो पैरासिटामोल की tablet देते हैं । कुछ दवाओं के नाम इस प्रकार है –

  1. Amoxicillin – यह दवा टॉन्सिल के लिए एंटीबायोटिक दवा के रूप में काम करता है । टॉन्सिल के होने के कारण कीटाणु का नाश करता है । और साथ ही इस दवा के सेवन करने से किटाणु के ग्रोथ होने की संभावना कम हो जाती है।
  2. Bacampicillin – यह दवा संक्रमण रोधी दवा है जो कि डॉक्टर के परामर्श से रोगी को दी जाती हैं। इस दवा के सेवन करने से संक्रमण के कारण गले में सूजन और दर्द से राहत मिलती है ।
  3. Cefadroxil– टॉन्सिल जिस बैक्टीरिया और वायरस के कारण पनपता है । डॉक्टर के अनुसार यह दवा उसके लिए बिल्कुल सही होता है ।
  4. Cefuroxime Axet – इस दवा का काम विभिन्न प्रकार के बैक्टीरिया को मारने का काम करता है । यह दवा डॉक्टर के परामर्श पर दी जाती है।
  5. Dequalinium tablet – यह एक ऐसी एंटीसेप्टिक दवा है जो कई ग्राम-पॉजिटिव और नेगेटिव बैक्टीरिया को खत्म करने से मददगार हो सकती है ।

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टॉन्सिल के लिए सिरप Himalaya. –

Tonsils के लिए कुछ दवा लिक्विड यानी सिरप के रूप मे भी उपलब्ध है । यह सिरप आयुर्वेदिक व अंग्रेजी दवा के रूप मे भी हो सकते हैं । इन सिरप का उपयोग करने से पहले योग्य डॉक्टर से परामर्श करें –

  1. Vocalax Anti Tonsillitis यह दवाई सिरप के रूप में डॉक्टर के परामर्श पर दी जाती है जो टॉन्सिल के लिए बहुत ही उपयोगी है।
  2. Himalaya Septilin Syrup – हिमालया की यह आयुर्वेदिक दवा बिना डॉक्टर के पर्चे की भी आयुर्वेदिक दवा दुकान में मिल सकती है। हिमालया स्पेलिंग टेबलेट का उपयोग अन्य किसी बीमारी में भी किया जा सकता है । इसके मुख्य रूप से आयुर्वेदिक औषधि मिले रहते हैं जिसके कारण यह बहुत ही फायदेमंद है । इसमें आंवला, गिलोय, गुग्गुल, मंजिष्ठा व मुलेठी आदि प्राकृतिक गुणों की भरमार रहती है । जिसके कारण यह बहुत ही उपयोगी दवा है।

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टॉन्सिल को जड़ से खत्म करने के उपाय –

गले की प्रॉब्लम टॉन्सिलस को जड़ से खत्म करने के लिए कुछ आयुर्वेदिक जड़ी बूटी प्रभावशाली हो सकती हैं । यह जड़ी बूटी सूजन कम करने के साथ साथ दर्द एव कीटाणुओ को भी रोकती है तो चलिए जानते हैं – इन जड़ी बूटी के बारे में –

  1. आंवला – आयुर्वेद के अनुसार यह खांसी के इलाज के लिए बहुत ही उपयोगी दवा है और एंटीबायोटिक का भी काम करता है।
  2. गिलोय – इसका इस्तेमाल अगर रोगी को बुखार हुआ हो तो उसमें बहुत फायदा करता है इसके अलावा शरीर में सूजन हुआ हो या फिर गले में सूजन हुआ हो तो इसका काम है कि उसे जल्द से जल्द ठीक करें और यह एजेंट मुक्त कणों को भी साफ करता है। यह एलर्जी दूर करती है और यूनिटी पावर को बढ़ाकर इसकी प्रतिरक्षा प्रणाली को और भी बेहतर करती है इसके अलावा यह ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करने में सहायता करती हैं।
  3. गुग्गुल – इस घटक के द्वारा मरीज में हुए कफ इकट्ठे को निकालने का काम करती है। हानिकारक तत्व को हटाते हुए अन्य सभी घटकों में संतुलन बनाए रखने का काम करती हैं।
  4. मंजिष्ठा – यह दवाई मरीज को हुए बुखार से तो राहत देती ही है साथ ही खांसी में भी बहुत उपयोगी है।
  5. मुलेठी – इस तत्वों के माध्यम से यूनिटी पावर बढ़ती है और बैक्टीरिया को मारने की भी अपार क्षमता रहती है। इससे घटक से बनी गई टेबलेट बहुत ही लाभप्रद होती हैं । इसका निर्धारित मात्रा में उपयोग करना बहुत ही आवश्यक है । खाने के बाद दो टेबलेट का सेवन पानी के माध्यम से करें । गुनगुना पानी लेने से यह दवा और भी बेहतर होते हैं लेकिन ध्यान रहे खुद को स्वस्थ रखने के लिए डॉक्टर के परामर्श से ही दवाई का सेवन व्यक्ति के लिए फायदेमंद होता है।

गले के संक्रमण को कैसे रोके ?

टॉन्सिल के कारण गले में हुए सूजन का बहुत सारा कारण हो सकता है लेकिन इससे मुक्ति का माध्यम भी है।

  • गरम पानी में नमक डालकर गरारे करने से गले में संक्रमण तो दूर होती है साथ ही से मैं बहुत आराम मिलता है।
  • ग्रीन टी का सेवन भी बहुत ही फायदेमंद होता है। इसके अलावा आधा गिलास गर्म पानी में नींबू का रस और एक चम्मच शहद मिलाकर पीने से भी गले में हुए संक्रमण से राहत मिलती है।
  • लौंग, तुलसी, अदरक और काली मिर्च को पानी में डालकर उबालकर पीने से अर्थात काढ़ा बनाकर पीने से गले में हुए सूजन से तो राहत मिलती ही है । साथ ही संक्रमण भी कम होता है।

अंतिम शब्द – उपरोक्त दवाओं से यदि आराम नहीं मिलता है तो अनिवार्य रूप से योग्य चिकित्सक से सम्पर्क करे । इसका ऑपरेशन के माध्यम से भी ठीक किया जा सकता है। इसीलिए बेहतर है कि योग्य वैध की सलाह से आयुर्वेदिक औषधि का सेवन किया जाए जिसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं है।

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