कुण्डलिनी शक्ति का पूरा सच । kundalini shakti in hindi.

Kundalini shakti in hindi.

Kundalini shakti in hindi. आज हम एक बार फ़िर से कुंडलिनी शक्ति का पूरा सच जैसी रहस्यमयी शक्ति के बारे में विस्तार से जानकारी देने के लिए उपस्थित हुए है । जैसा कि आप हमारे पूर्व के लेखों में पढ़ चुके है कि हमारे शरीर प्रकृति द्वारा प्रदत्त असीम शक्तियों का भंडार है । कुदरत ने पंचतत्व युक्त मानव शरीर को इस तरह से बनाया है बड़ी से बड़ी शक्ति उसमे समाहित कर दी । उन शक्तियों का उपयोग मानव चाहे जब कर सकता है । उन तमाम शक्तियों की महाशक्ति हैं कुंडलिनी शक्ति है । जिसे योगमाया भी कहते है ।

पढ़े – मूलाधार चक्र को कैसे जागृत करें । Mulaadhar chakra in hindi.

कुंडलिनी शक्ति क्या है ? What is kundalini shakti in hindi. ?

कुंडलिनी शब्द मूल रूप से संस्कृत भाषा का है जिनका अर्थ कुंडलित है । एक विशिष्ट प्रकार की दिव्य शक्ति शरीर की रीढ़ की हड्डी के पास मूलाधार चक्र के नीचे सर्प की तरह कुंडलित होकर साढ़े तीन फेरो में विद्यमान होती है । और उसी दिव्य शक्ति को कुंडलिनी शक्ति ( Kundalini shakti in hindi. ) कहा गया है । इस शक्ति का इतिहास सदियों पुराना है । सर्वप्रथम हिन्दू ग्रन्थों उपनिषद में इनका वर्णन मिलता है ।

कुंडलिनी शक्ति एक ऐसी शक्ति है जो अविद्या के रूप में समस्त प्राणियों को बंधन में बाधकर फिर विद्या के रूप में पुनः आजाद कर देती है । इस प्राणविद्या एवं महाविद्या को जानने वाले ही इस भवसागर को देख सकते है । या यूं कहें कि वे वेदों के ज्ञाता हो सकते है ।
कुंडलिनी एक ऐसी परमाणु शक्ति है जिसमें सभी प्रकार के योग, तंत्र एवं अन्य सभी शक्तियां समाहित है । जिसे प्रकृति रूप से ईश्वरी, भुजंगी, कुंडली, माया, योगमाया एवं महामाया के नाम से जाना जाता हैं । इस महाशक्ति को जागृत करना आसान नहीं है । इनके कठोर साधना करने की आवश्यकता होती है ।

कुंडलिनी शक्ति का पूरा सच । Kundalini shakti ka pura sach –

कुंडलिनी शक्ति एक सार्वभौमिक एनर्जी है जो मानव शरीर के मूलाधार चक्र के नीचे सोई हुई अवस्था में सर्प की भांति कुंडल मार कर बैठी होती है । इन कुंडलों की संख्या साढ़े तीन है । और तीनों कुंडल अलग अलग तीन गुणों के परिचायक माने जाते है जैसे सत्व यानी परिशुद्धता, रजस यानी क्रियाशीतता और वासना तीसरा व अंतिम गुण तमस यानी जड़ता और अंधकार । अंतिम कुंडल यानी अर्द्ध कुंडल को इन सभी गुणों के प्रभाव का परिचायक कहा गया है।

जब निरंतर कुंडलिनी योग साधना से सोई हुई कुंडलिनी शक्ति को जाग्रत कर इसे सुषम्ना नाड़ी में स्थित सातों चक्रों का भेंदन करते हुए सहस्रार चक्र में स्थित सदा शिव में विलीन कराया जाता है। कुंडलिनी शक्ति जब एक के बाद एक चक्र का भेदन करती है तब उस चक्र की समस्त शक्ति का स्वामी बन जाता है । इस प्रकार जब सातों चक्रो को भेदती हुई अंत तक शिव में विलीन होकर ब्रहाण्ड में समाहित हो जाती है जिसे साधक अंनत शक्तियों का स्वामी बन जाता है ।

मानव शरीर में कुल 72 हजार सूक्ष्म वाहिकाओं में इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना नाड़ी सबसे महत्वपूर्ण हैं। इंडा व पिंगला मेरुदंड के दोनो तरफ स्थित है जिनका प्रवाह नासिका द्वारा होता है । इंडा बाई नासिका एवं पिंगला का प्रवाह दायीं नासिका से होता है । दोनो का गुण एक दूसरे से विपरीत है । इंडा शीतल यानी चन्द्र है इसी प्रकार पिंगला गर्म मिजाज यानी सूर्य का प्रतीक है ।

पढ़े – अनहद नाद से परमात्मा की आवाज कैसे सुने । Anhad naad meditation in hindi.

कुंडलिनी शक्ति के चमत्कार । Kundalini shakti ke chamtkar.

इन्ही नाड़ियो से सुगुन विचार किया जाता है । जब गौर से श्वास प्रक्रिया को समझेंगे तो श्वास कभी एक नासिका से चलता है तो कभी दूसरी नासिका । कभी कभी दोनो से । जब आप किसी साधारण या सरल कार्य करने की उत्सुकता रखते है तो इंडा नाड़ी क्रियाशील होनी चाहिये । यानी आपकी बाई नासिका का द्वार खुला होना चाहिए । इसी प्रकार जब कठिन कार्य को करने जा रहे है तो पिंगला नाड़ी क्रियाशील होनी चाहिए । यानी आपकी दायीं नासिका यानी सूर्य द्वार खुला होना चाहिए ।

दोनो नासिका के द्वार खुलने का मतलब सुषुम्ना नाड़ी का क्रियाशील होना । यह एक ऐसा समय मे आप सर्व उत्कृष्ट कार्य सम्पन्न कर सकते है । इस प्रकार तीनो नाड़ियो के प्रवाह को जानकर भविष्यवाणी एवं मार्गदर्शन कर सकते है । सुषुम्ना नाड़ी मूलाधार से सहस्रार चक्र तक विद्यमान होती है । यानी यह शरीर के समस्त चक्रो का भेदन करके मेरुरज्जु तक जाती है । इसे सरस्वती कहा गया है । इंडा को गंगा एवं पिंगला को यमुना कहा जाता है ।

कुंडलिनी शक्ति का स्वरूप । kundalini shakti in hindi.

इन नाड़ियो के मिलने पर केंद्रों का निर्माण होता है । जिसे कमल के पुष्प के रूप में चित्रित किया गया है । जिनके प्रत्येक दल को बीजाक्षर के रूप में स्पदन किया जाता है । जब दल के देवता, गुण एवं प्रतिनिधित्व करने बीजमंत्र अभिव्यक्त करता है । जब कुंडलिनी शक्ति इन चक्रों या दलों का भेदन करती है तो उन शक्तियों का संचार होता है ।  7 चक्र को कैसे जागृत करें । हमारा पूर्व प्रकाशित लेख सकते है ।

जैसे जैसे कुंडलिनी शक्ति चक्रो को भेदती हुई, चक्रो की शक्तियों को समाहित करती हुई आगे बढ़ती है । वैसे साधक को शक्ति का आभास करा देती है । यानी कुंडलिनी के जागृत होने के संकेत मिलने शुरू हो जाते है । क्योंकि इनकी शक्ति करोड़ों सूर्यो की भांति तेज एवं प्रकाशमान है ।

कुंडलिनी शक्ति के नियम । Kundalini awakening Rules in hindi. –

Kundalini Meditation करने के पहले साधक को कुछ नियमों की पालना करने की आवश्यकता होती है । ताकि अपनी साधना को सफलतापूर्वक सिद्ध कर सकते है तो कुंडलिनी योग के नियम –

  • इस योग का उद्देश्य सेवा भाव एवं मानव कल्याण होना चाहिए ।
  • साधक को चित्तशुद्धि के साथ साथ ध्यान, आसन या प्रणायाम द्वारा नाड़ी शुद्धिकरण करना चाहिए ।
  • कुंडलिनी योग श्रद्धा, विश्वास, भक्ति, मानसिक विवेक एवं शांति, धर्म, धैर्य एवं आत्मसयंम जैसे गुणों का अनुमोदन करने की परम् आवश्यकता है ।
  • योग सुबह शाम एकांत स्थान पर करना चाहिए एवं चक्र पर ध्यान के बाद दूसरे की तरफ ध्यान देना चाहिए । एक चक्र पर एक सप्ताह का समय दे ।
  • कुंडलिनी योग गुरु के मार्गदर्शन में करना चाहिए एवं समय समय पर उनकी आज्ञा का पालन करना चाहिए ।

कुंडलिनी शक्ति जागृत कैसे करें । How to rise kundalini Shakti in hindi.

Kundalini power को जागृत करने के ध्यान एवं योग साधना करने की आवश्यकता होती है । क्योंकि इसे आसानी से जागृत नहीं किया जाता है । ये निरंतर अभ्यास से जागृत होकर साधक को समस्त शक्तियों का स्वामी बना देती है । ध्यान एवं योग दोनो संयोजित प्रथा है । इनका उपयोग एक साथ नहीं किया जा सकता है । निश्छल भाव से की गई साधना निश्चित रूप से साधक को उत्तम फल प्रदान करते है । तो चलिए जानते Kundalini shakti जागृत करने के तरीकों के बारे में –

Meditation ( ध्यान ) –

नियमित रूप से ध्यान लगाने से साधक जल्दी सफलता प्राप्त कर सकता है । यानी kundalini shakti को जागृत करने का सबसे अच्छा उपाय है । खुद पर संयम पाने यानी मन की स्थिरता लाने के लिए ध्यान से बेहतर कोई उपाय हो ही नहीं सकता । ध्यान के दौरान अपनी साँसों की गति पर ध्यान देने की आवश्यकता होती । जैसे जैसे प्राण वायु में स्थिरता बढ़ेगी वैसे कुंडलिनी शक्ति का जागरण शुरू हो जायेगा । ध्यान की अनेको विधियां है उनमें से प्रमुख विधि – प्राणायाम एवं आसन विधि है ।

Poss ( मुद्रा ) –

kundalini को जागृत करने के लिए अनेको मुद्राओं का वर्णन मिलता है । ये मुंद्रा ध्यान आधारित है । मुद्रा का अर्थ इशारा या निशान होता है । कुंडलिनी जागरण में अनेकों मुद्राएँ सहायक है जैसे – सूर्य मुंद्रा, शाम्भवी मुद्रा, बुद्धि मुद्रा, उन्मनी मुद्रा, ज्ञान मुद्रा आदि ।

पढ़े – माइंडफुलनेस मेडिटेशन क्या है । Mindfulness meditation technique.

Yoga ( योग ) –

kundalini को जागृत करने के लिए ध्यान, मुद्रा के अलावा योग का भी सहारा लिया जा सकता है । योग अपने मन को स्थिर सबसे अच्छा तरीका माना जाता है । कुंडलिनी शक्ति को एक्टिवेट करने के लिए Naad Yog सबसे श्रेष्ठ है । इसके अलावा हठ योग, राज योग, मंत्र योग एवं भक्ति योग से kundalini को Rise किया जा सकता है ।

कुण्डलिनी शक्ति के जागरण से होने वाले लाभ – Benefits of kundalini awakening in hindi.

  • कुंडलिनी जागरण से साधक आत्म ज्ञानी, सर्व ज्ञानी बन जाता है । कुंडलिनी शक्ति के प्रभाव से साधक को मोक्ष की प्राप्ति होती है । वह ईश्वरीय विधान से वाफिक हो जाता है ।
  • कुंडलिनी शक्ति के प्रभाव से साधक दुःख, कष्ट, तनाव एवं सांसारिक मोह से मुक्त हो जाता है ।
  • कुंडलिनी शक्ति जागरण से साधक कुछ भी करने में पूर्ण रूप से सक्षम हो जाता है । उनके लिए कुछ भी असम्भव नहीं है ।
  • कुंडलिनी एक ऐसी शक्ति है जो जागृत होते ही साधक को शक्तिशाली बना देती है ।
  • साधक भोग व विषय वासना से मुक्त हो जाता है एवं परम् सुख – शांति का अनुभव करता है ।
  • साधक समस्त शक्तियों का स्वामी बनकर मोक्षता की ओर अग्रसर होता है ।

क्या कुंडलिनी शक्ति जागृत करना चाहिए । why need kundalini shakti in hindi.

मित्रो यहां तक आते आते यह सवाल सबसे अहम है कि क्या सच मे कुंडलिनी शक्ति को जागृत करना चाहिए ? तो इनका जबाब यह है कि अब तक जो रिसर्च में आया है या जिन साधको ने इस साधना को करने का प्रयास किया है । कुंडलिनी शक्ति जागृत होने से पहले उन्होंने खुद से सवाल पूछा – आखिर कुंडलिनी शक्ति जागरण क्यो ?
जबकि सच यह है कि कई कई बड़े बड़े संत महात्मा हुए जैसे महात्मा बुद्ध, नानक, महावीर, यशु एवं संत कबीर जैसे महान साधक भी निर्वाण प्राप्त हुए लेकिन उन्होंने कुंडलिनी शक्ति को जागृत नहीं । कहने का मतलब मनुष्य के पास पहले शक्तियां मौजूद हैं जिनके लिए बस नियमित रूप से ध्यान ही काफी है । बस नकारात्मक सोच से बचे ।

तो मित्रों आशा करते है आज का लेख कुंडलिनी शक्ति का पूरा सच । Kundalini shakti in hindi. आपको कैसा लगा कमेंट करके अवश्य बताए । ओर हा यदि आप भी कुंडलिनी शक्ति के बारे में अनुभव रखते है तो कमेंट बॉक्स में लिखे ।

Share