7 चक्र को कैसे जागृत करे । chakra meditation in hindi.

Chakra meditation in hindi.

7 chakra meditation. ध्यान योग साधना मेडिटेशन यह सभी प्राचीन भारतीय धरोहर है, जो हमें पीढ़ी दर पीढ़ी प्राप्त होती आई है । जब बात योग योग की आये तो स्वास्थ्य, एकाग्रता स्मरण शक्ति का स्वयं ही विस्तार होना प्रारंभ हो जाता है। योग में chakra meditation ( चक्र योग ) का अभूतपूर्व महत्व व प्रभाव है । 7 chakra meditation हमारी Health की दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण है । यानी 7 चक्र में से कोई एक असंतुलित है तो उस चक्र से सम्बंधित बीमारी होने की सम्भावना है । जैसे कि हार्ट चक्र अगर असंतुलित है तो ह्रदय से जुड़ी परेशानी हो सकती है ।


संपूर्ण सृष्टि- चक्र, गोला, वृत, गोलाई इसी पर केंद्रित है। सृष्टि निर्माण से विनाश तक चक्र की एकमेव भूमिका है । तो चाहे अंतरिक्ष हो जल या थल, वायुमंडल हो भोजन, फल सारी प्रकृति, मानव शरीर सभी में चक्र की महती भूमिका व प्रदर्शन है। तो फिर योग की बात आए और हम chakra meditation (चक्र योग) की बात ना करें यह कैसे संभव है। तो चलिए जानते हैं 7 chakra meditation के बारे में विस्तार से –

Also read –

कुंडलिनी शक्ति कैसे जागृत करें । How to awakening kundalini power.

मेडिटेशन के नियम एवं फायदे । Benefits of meditation in hindi.


What is Chakra meditation. चक्र योग क्या है ?


योग द्वारा केवल शरीर की ही चिकित्सा नहीं होती बल्कि मन विचारों व बुद्धि की भी चिकित्सा संभव है अतः मन को विचलित होने से रोकने के लिए chakra meditation की अहम भूमिका है।
अपने शरीर में मेरुदंड के निचले हिस्से से मस्तक के ऊपरी शिरे तक सात चक्रों को जागृत कर प्राणों को (आत्मा) अपने सहस्त्रार चक्र में स्थित परमात्मा शक्ति में विलीन करना चक्र मेडिटेशन है।

चक्र मेडिटेशन के लाभ । Benefits of 7 chakra meditation –


◆ स्मरण शक्ति का विकास होता है ।
◆ एकाग्रता व लक्ष्य के प्रति चुंबकीय आकर्षण ।
◆ मन को विचलित होने, मनमानी करने से रोकता है ।
◆ Chakra meditation क्रोध को कम कर मानसिक शांति प्रदान करता है।


◆ अनिद्रा को दूर कर गहरी नींद से मानसिक व शारीरिक थकावट दूर करता है।
◆ मोटापा कोलेस्ट्रोल अवसाद तनाव को दूर भगाता है ।
◆ आध्यात्मिक व सकारात्मक विचारधारा को जन्म देता है ।
◆ निर्णय, निर्माण क्षमता व नेतृत्व क्षमता बलवती होती है।
◆ नवीन आचार विचार रचनात्मकता क्रियात्मक ता का आविर्भाव होता है।
◆ सांसारिक भोग और भगवान के ध्यान में संतुलन स्थापित करता है।

7 चक्र को संतुलित कैसे करें । How handling 7 chakra meditation.


आज की भागदौड़ भरी जीवन शैली में योग का चमत्कारिक असर देखा गया है। यहां तक कि अमेरिका जैसे देशों ने भी योग पर रिसर्च कर इस के चमत्कारिक लाभ की वैज्ञानिक पुष्टि की है । योग शास्त्र के संस्थापक महर्षि पतंजलि को माना गया है । इन चक्रों को संतुलित करने के लिए संयमित एवंदृढ़ संकल्प की आवश्यकता होती है । नियमित रूप से ध्यान लगाकर इन चक्रो को संतुलित किया जा सकता है ।

7 Chakra meditation in hindi. 7 चक्र के नाम

हमारे शरीर में सात चक्र 72000 नाडियां और 10 प्रकार की वायु या प्राण होते हैं हमारे शरीर में मेरुदंड से गुजरने वाली सुषुम्ना नाड़ी में सात चक्र या ताले होते हैं जिसे ध्यान लगाकर chakra meditation खोला जा सकता है जो इस प्रकार हैं–

  1. मूलाधार चक्र
  2. स्वाधिष्ठान चक्र
  3. मणिपुर चक्र
  4. अनाहत चक्र
  5. विशुद्ध चक्र
  6. आज्ञा चक्र और
  7. सहस्रार चक्र
Benefits of chakra meditation.

मूलाधार चक्र । Root Chakkar in hindi.


यह चक्र श्रृंखला का आधार व मूल होता है। अस्थि मज्जा रीड की हड्डी मेरुदंड की कड़ियों में छह चक्र गुंथे हुए हैं। शिखा के सिरे पर स्थित है परम तत्व, एवं उसी शिखा के अंतिम छोर पर जहां कई अस्थियों का जाल होता है वहां गुदा द्वार पर मूलाधार चक्र होता है । इसी चक्र के साथ सुषुम्ना नाड़ी नागिन की तरह कुंडली मारकर सोई रहती है। इस चक्र का संबंध भोग विलास से है यह संभोग मनोवृति से संबंधित है। मूलाधार चक्र के जागरण से व्यक्ति अपनी भोग वासना पर काबू पा लेता है।

यह चक्र रीढ़ की हड्डी के निचले छोर पर जननेंद्रिय गुदा के बीच स्थित होता है । इस चक्र का पृथ्वी तत्व और प्राण इंद्रिय से संबंध है। 4 पंखुड़ी वाला कमल ( गहरे लाल रंग का ) इसका प्रतीक है। इन चक्रों को कमल पुष्प द्वारा इंगित किया जाता है। बीज मंत्र लं है । इस बीज मंत्र के जप द्वारा इस चक्र को जाग्रत किया जाता है। इसके केंद्र में एक लाल रंग का त्रिभुज है जो उल्टा पिरामिड स्थिति में है । जिसका नुकीली दिशा नीचे की और रहती है।

स्वाधिष्ठान चक्र – Sacral chakra in hindi –


मूलाधार चक्र से दो अंगुल ऊपर जन्म खंड के ठीक पीछे स्थित होता है स्वाधिष्ठान चक्र इसका संबंध संभोग के उपरांत संतान उत्पत्ति या प्रजनन से होता है अंडों के निर्माण में सहयोगी शुक्राणु व पोषक द्रव का संचार करता है इसका संबंध निर्माण रचनात्मकता जिज्ञासा उत्सुकता आनंद खुशी आदि से होता है स्वाधिष्ठान चक्र की जागृति से साधक मन को भी देखने लगता है इसके साथ ही निर्णय क्षमता व नेतृत्व क्षमता का विकास होता है ।


मूलाधार चक्र से तीन इंच ऊपर मेरुदंड में पीछे की ओर स्वाधिष्ठान चक्र होता है । स्वाधिष्ठान चक्र जल तत्व व रस इंद्रिय से संबंधित है। षट (6) पंखुड़ियों वाला सिंदूरी रंग का कमल पुष्प इसका प्रतीक है । इसका जागरण बीज मंत्र ए द्वारा किया जाता है । इसकी शुद्धि से व्यक्ति पशु के जैसी इंद्रिय व्रतियों से ऊपर उठ जाता है ।

मणिपुर चक्र – Solar Plexus chakra in hindi. –


स्वाधिष्ठान चक्र से ऊपर नाभि के पीछे स्थित है मणिपुर चक्र जिसका संबंध पेट आहार पाचन छोटी या बड़ी आपसे है जिससे भोजन ऊर्जा में बदल कर शरीर के सभी अंगों को संचालित करता है मणिपुर चक्र के जागरण से व्यक्ति भय क्रोध पर नियंत्रण पड़ता है तथा निजी बल निर्णय मत अंतर मुक्ता एवं जतिन समय में प्रभावित भावनाओं का विकास करता है

मणिपुर जागरण के बाद व्यक्ति अपने मन के साथ – साथ ह्रदय को भी देखने लगता है जिससे नेतृत्व क्षमता में वृद्धि होती है यह नाभि के ठीक पीछे मेरुदंड में स्थित है यह अग्नि तत्व तथा दृष्टि इंद्रिय से संबंधित है । दस पंखुड़ियों वाला कमल इसका प्रतीक है। कमल के बीच गहरे लाल रंग का त्रिभुज है इसका बीज मंत्र ए है हमारा पाचन तंत्र इसी चक्र द्वारा संचालित होता है ।

अनाहत चक्र – Heart chakra in hindi.


मणिपुर चक्र के ठीक ऊपर दोनों स्तनों के बीच सीने में स्थित होता है अनाहत चक्र तनाव व भय को दूर करने वाले इस अनाहत चक्र का संबंध अंतः स्रावी तंत्र से है संवेदनशीलता का प्रतीक यह चक्र मानव मन की भावनाओं जैसे करुणा सहृदयता समर्पण प्रेम परोपकार ममता संतुलन को संचालित व नियंत्रित करता है क्रोध को जीतने के लिए अनाहत चक्र का जागरण अति आवश्यक है इससे मन शांत होकर समस्त प्राणियों के प्रति प्रेम को प्रकट करता है ।


वक्ष स्थल के बीच ठीक पीछे मेरुदंड में अनाहत चक्र स्थित होता है । इसे ह्रदय चक्र भी कहते है । यह वायु तत्व तथा स्पर्श इंद्रिय से संबंधित है । कमल के केंद्र में एक षटकोण की आकृति है इसका बीज मंत्र यं है। इस चक्र को जागृत करने के लिए रात को सोने से पहले ह्रदय पर ध्यान लगाना होता है । दिल पर संयम रखने से यह चक्र जागृत होता है । इस चक्र के जागरण से जीवो के प्रति निष्काम प्रेम का भाव उत्पन्न होता है और साधक सहनशील शांत चित्त व मनोरम मुस्कान वाला ह्रदय हो जाता है ।

विशुद्धि चक्र – Throat chakra in hindi. –


विशुद्धि चक्र गले की ग्रंथि कंठ कूप में विद्यमान रहता है इस चक्र के जागरण से मानसिक व शारीरिक संप्रेषण भावनात्मक स्वतंत्रता तथा विचारों की उदास भावना का विकास होता है व्यक्ति आध्यात्मिक रूप में सुरक्षित अनुभव करता है इस चक्र की जागृति का प्रभाव साधक के ललाट पर परिलक्षित होता है दिव्य चमक चेहरे पर तेज विनोद के साथ मनोरम शांति दिखाई देती है व्यक्ति का महत्व व प्रभाव आलोकित होने लगता है।


यह गर्दन तथा कंठ के पीछे वाले भाग मेरुदंड में स्थित होता है। इसे शुद्धि का केंद्र भी कहते है । इसे 16 दल वाले बैंगनी कमल के रूप में प्रकट होता है। कमल के केंद्र में सफेद व्रत है इसका आकाश तत्व और बीज मंत्र हं हैं इसके जागरण से लीडरशिप क्षमता का उदय होता है ।


आज्ञा चक्र – Third eye chakra in hindi. –


दोनों भौंहों के बीच तिलक के स्थान पर आज्ञा चक्र होता है यह सहस्त्रार चक्र तक पहुंचने का अंतिम ताला है आज्ञा चक्र के जागृत होते ही आत्मा का परमात्मा से एकाकार हो जाता है आज्ञा चक्र व्यक्ति के अहंकार को नियंत्रित कर उच्च अहम भावना एवं निम्न अहम भावना के बीच उचित संतुलन स्थापित करता है कुछ समय के लिए परमात्मा की छवि के दर्शन होते हैं अज्ञात भय से निजात मिलती है ।


मध्य मस्तिष्क में भूमध्य के पीछे मेरुदंड के शिखर पर आज्ञा चक्र स्थित है। इस चक्र को शिव नेत्र, ज्ञान चक्षु, तीसरी आंख या त्रिवेणी आदि कई नामों से जाना जाता है। इसका प्रतीक चांदी के रंग का दो पंखुड़ियों वाला कमल है यह दो पंखुड़ियां सूर्या चंद्र पिंगला अथवा इड़ा का प्रतीक है। कमल के केंद्र में बीज मंत्र ॐ अंकित है इस चक्र के जागरण से मन स्थिर होकर शक्तिशाली होता है।

सहस्रार चक्र – Crown chakra in hindi. –


सहस्त्रार चक्र कोई ताला नहीं है बल्कि यह तो परमात्मा का द्वार है यह मस्तक के बीचो-बीच ऊपर की ओर स्थित होता है यह चक्र आत्मा परमात्मा की एक सरता का प्रतीक है चक्र योगी की साधना का संपूर्ण प्रतिफल है यह शुद्ध चेतना का चक्र है समस्त चराचर जगत परमात्मा मय लगने लगता है प्रत्येक श्वास में परम तत्व के नाम की गूंज सुनाई देती है अपने आप ही अद्वितीय अनुभव व भूत भविष्य की घटनाओं से साक्षात्कार होने लगता है ।


यह सिर के शिखर पर होता है यह कोई चक्र नहीं है बल्कि शिव् या परमात्मा का निवास है। जहां मनुष्य की आत्मा अर्थात प्राण परमात्मा में एकाकार हो जाते हैं। यहां साधक परम गति को प्राप्त कर परमात्मा में विलीन होता है ।वह जन्म मरण के चक्र से छूट जाता है।

7 चक्र को जागृत कैसे करें । How to activate 7 chakra –


● आसन बिछाकर शांत, खुले व प्राकृतिक वातावरण में पद्मासन लगाकर बैठ जाएं ।
● अंगूठे और तर्जनी को स्पर्श कर हाथों को घुटने पर फैलाए, शेष चारों उंगलियों को ऊपर आकाश की ओर उठाएं।
● आँखें कोमलता से बंद करें ।


● मुख पर चिर मुस्कान के साथ अपने ध्यान को अपने केंद्र पर स्थित करने का प्रयास करें।
● अपने पांचों ज्ञानेंद्रियों से महसूस करें कि आप के आस पास बहुत ही सुंदर प्राकृतिक परिवेश है।
● झरने बह रहे हैं मलयानिल चल रही है, पक्षी मधुर कलरव कर रहे हैं, भ्रमर गुंजार कर रहे हैं।
● चारों तरफ एक आध्यात्मिक तेजमय ज्योति स्वरूप है फूल खिले हुए हैं ।


● महसूस करें कि आपके आसपास अरुण सूर्य का श्वेत प्रकाश एक गोलाकार स्वरूप में फैला हुआ है ।
● ऐसा निरंतर व नियमित रूप से करने से धीरे-धीरे आपके मेरुदंड के निचले भाग में सांप की तरह कुंडली मारकर बैठी इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना नाड़ी जो सोई पड़ी है उनमें हलचल होने लगेगी।


● वे नाड़ियाँ जागृत होंगी और इस प्रकार धीरे-धीरे नियमित अभ्यास से आपकी प्राण (आत्मा )सातों चक्रों को भेदती हुई सहस्त्रार चक्र में परम तत्व में विलीन हो जाएगी और जन्म मरण के चक्र से मुक्ति मिलेगी मानव जीवन के अंतिम लक्ष्य को पाने में आप सफल हो सकेंगे।

7 chakra meditation technique in hindi.


7 chakra meditation एक ऐसी तकनीक है जिसे साधक ध्यान योग से एक के बाद एक चक्र को जागृत करके समस्त चक्रो की शक्तियों का स्वामी बन जाता है । 7 chakra meditation से साधक शारिरिक एवं आध्यात्मिक लाभ प्राप्त करता है । 7 चक्र योग करने के लिए साधक को एकांग्रता से एकांत स्थान में ध्यान लगाने की आवश्यकता होती है । इस ध्यान में साधक को अपनी सांसो पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है ।

इस योग को दृढ़ संकल्प एवं लगातार करने से लाभ प्राप्त किया जा सकता है । जैसे जैसे साधक का ध्यान एक के बाद एक बिंदु ( चक्र ) को पार करेगा वैसे वैसे उन शक्तियों का आभास होता जाएगा । सबसे पहले निचले 3 चक्र जागृत होंगे । फिर अंतिम में सिर में स्थित चक्र जागृत होते ही समस्त शक्तियों का मालिक बनकर समस्त कष्टों से मुक्ति मिल जाएगी । यदि इस 7 chakra meditation को गुरु के सानिध्य में किया जाए तो जल्दी सफलता मिल सकती है ।

तो मित्रों I hope आज का टॉपिक 7 chakra meditation in hindi से आपको उपयोगी जानकारी मिली होगी । आप अपने विचार हमारे कमेंट बॉक्स में लिख सकते है ।

Share

Leave a Comment