केएमसी के फायदे । Kangaroo mother care benefits in hindi.

Kangaroo mother care benefits in hindi

Kangaroo mother care benefits in hindi. माँ के सीने से लगकर बच सकती है मरते हुए बच्चे की भी जान, कंगारू केयर करता है रामबाण जैसा काम । शिशु के विकास और स्वास्थ्य के लिए माँ का प्यार और दुलार अत्यंत आवश्यक होता है और कंगारू केयर इसका सबसे आसान तरीका होता है । कंगारूओं के शरीर पर एक पाउच होता है, जिसमें वो अपने बच्‍चे को रखते हैं ।

इस तरह बच्चा पूरे दिन अपनी माँ के पास रहता है और उनकी देखभाल और दुलार का आनंद ले पाता है ।
माँ के बैली पाउच में बच्चा खुद को सर्वाधिक सुरक्षित महसूस करता है । इसे कंगारू केयर कहते हैं जो कि हम इंसानों में भी होती है । इंसान भी अपने बच्चे की कंगारू केयर कर सकते हैं । शिशु को इस तरह की देखभाल से अत्यंत लाभ भी मिलते हैं । तो चलिए जानते हैं – Kangaroo mother care benefits in hindi.

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Table of Contents

कंगारू मदर केयर क्या है । What is kangaroo mother care in hindi.

कंगारू केयर में माँ और बच्चे के बीच स्किन-टू-स्किन कॉन्टेक्ट होता है । इसके हर एक सेशन में माँ कुछ घंटों के लिए शिशु को अपने सीने से लगाकर रखती है । इसके लिए शिशु को डायपर के अलावा और कुछ नहीं पहनाया जाता है । एक रिसर्च के अनुसार विकासशील देशों में लो बर्थ वेट ( जन्म के समय कम वजनी शिशु ) को कंगारू केयर की मदद से न सिर्फ शिशु को मरने से बचाया गया है, बल्कि उसमें कोई गंभीर बीमारी, इंफेक्शन और हॉस्पिटल में ज्यादा दिन रूकने जैसी परेशानियों में भी कमी आई है ।

कई विकसित देशों में कंगारू केयर प्रीटर्म बेबी के लिए भी बहुत फायदेमंद है । किसी भी शिशु के जन्म बाद उसका स्वस्थ्य रहना अत्यंत आवश्यक होता है । जन्म के बाद उनका खास तौर से विशेष ध्यान न रखा जाए तो उन्हें कई प्रकार की बीमारी हो सकती हैं ।

केएमसी की परिभाषा हिंदी में । KMC in hindi.

आजकल प्री-मेच्योर डिलीवरी होना आम बात है । ऐसे में समय से पहले जन्म लेने वाला शिशु न तो ठीक से माँ के के दूध का सेवन कर पाता है और न ही सामान्य बच्चों की तरह स्वस्थ रह पाता है । इतना ही नहीं कई माताओं में भी यह समस्या देखने को मिली है कि प्रसव के बाद भी उनका दूध नहीं बनता है । माँ का दूध बनना भी प्राकृति की विशेष दया है । यह प्रकृति की ही देन है कि शिशु के जन्म के बाद माँ के स्तनों में दूध आ जाता है ।

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संभवतः यही वजह है कि बड़े बुजुर्ग कहते हैं की – कोई भी शिशु अपनी किस्मत और अपना भोजन लेकर आता है । किन्तु अनेक महिलाएँ ऐसी भी हैं जिन्हें प्रसव के बाद भी दूध नहीं बनता है । जबकि यह मन जाता है कि शिशु के जन्म के बाद शिशु को माँ का गाढ़ा पीला दूध ही पिलाना चाहिए । इससे शिशु और माँ दोनों को ही अत्यंत लाभ पहुँचता है । इस प्रकार की सभी परेशानियों का इलाज कंगारू मदर केयर के जरिए संभव है ।

कंगारू मदर केयर की आवश्यकता क्यों ?

बाल चिकित्सक बताते हैं कि आजकल छोटे नगरों में भी कंगारू मदर केयर उपचार काफी सामान्य और प्रचलित हो गया है । यह अनेक प्रकार की परेशानियों से निजात पाने का प्राकृतिक उपचार है । जैसा कि इसका नाम है, ‘कंगारू मदर केयर’, इसमें जिस प्रकार से कंगारू मादा अपने बच्चे को छाती से लगाकर रखती है, उसे दूध पिलाने के साथ उसका ख्याल रखती है । ठीक उसी प्रकार शिशु जन्म के पश्चात महिलाओं को शिशु की देखभाल करने की सलाह दी जाती है ।

ऐसा शिशु को जीवन प्रदान करने के लिए किया जाता है । इस प्रक्रिया में शिशु को माँ की छाती से लगाकर रखने की सलाह दी जाती है । ताकि माँ और शिशु के बीच त्वचा से त्वचा मिलने से आत्मिक संबंध बना रहे ।

कंगारू मदर केअर के फायदे । Kangaroo mother care benefits in hindi.

कभी कभी प्री मैच्योर डिलीवरी के दौरान शिशुओं का जन्म समय से पूर्व ही हो जाता है । ऐसे शिशु सामान्य शिशु की तुलना में ज्यादा कमजोर होते हैं, इनका वजन कम होता है । और इन्हें सामान्य से अधिक देखरेख की आवश्यकता होती है । यही वजह है कि डॉक्टर इस तकनीक की मदद से शिशु का बेहतर इलाज करते हैं । इसे कैसे करना है और क्यों करना है उसके लिए एक्सपर्ट सुझाव देते हैं । बिना उनकी सलाह और सुझाव के इसे नहीं करना चाहिए । कंगारू मदर केयर के क्या होते हैं फायदे….? Kangaroo mother care ke fayde.

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कंगारू केअर से स्किन टु स्किन कॉन्टैक्ट | skin to skin contact to Kangaroo mother care benefits in hindi.

यह एक ऐसा कॉन्टैक्ट हैं जो शिशु की जरूरतों को समझने में आसानी होती हैं । यही कारण है कि एक्सपर्ट प्री मैच्योर बेबी के केस में माताओं को कंगारू मदर केयर की सलाह देते हैं । क्योंकि स्किन टु स्किन कॉन्टैक्ट होने से न केवल मानसिक रूप से माँ शिशु के और करीब आती है, अपितु छोटी ही उम्र में शिशु का माँ से गहरा लगाव हो जाता है ।

माँ के शरीर से शिशु को गर्माहट से बॉडी टेम्परेचर रहता है नॉर्मल –

डॉक्टर्स के अनुसार नवजात शिशु को बीमारियों होने का खतरा काफी अधिक होता हैं जैसे निमोनिया, सर्दी जुकाम, पीलिया आदि । ऐसे में कंगारू केयर से शिशु को माँ के शरीर से गर्माहट से बच्चे का बॉडी टेम्परेचर भी कंट्रोल में रहता है । जिससे नवजात को होने वाली बीमारियों से बचा जा सकता है । सर्दियों के मौसम में होने वाली बीमारियों से बचने के लिए शिशु को धूप में बैठाने की सलाह देने के साथ कंगारू मदर केयर टिप्स आजमाने की हिदायत देते हैं । ऐसा करने से शिशु को माँ के शरीर से होने वाले स्किन टु स्किन कॉन्टैक्ट की वजह से गर्माहट मिलती है । ठंड लगने, निमोनिया होने के साथ ही अनेक बीमारियों से बचाव होता है ।

अधिक एवं अच्छे से कर सकता है स्तन पान | Breast feeding to Kangaroo mother care benefits in hindi.

कंगारू मदर केयर के दौरान शिशु अपनी माँ की छाती से चिपका होने के कारण वह शीघ्रता से दूध पीने की आदत को सीख जाता है । एक्सपर्ट के अनुसार शिशु अपनी माँ के स्तनों के करीब होने से उसे जब भूख लगती है या जब मन चाहे माँ के स्तनों से दूध पी लेता है । इस प्रक्रिया का सबसे बड़ा फायदा यह है कि शिशु और माँ की बॉन्डिंग मजबूत हो जाती है । वे दोनों एक दूसरे की जरूरत को अच्छी तरीके से समझ सकते हैं ।

पर्याप्त मात्रा में स्तन पान के कारण शिशु के शरीर में ताकत आती है, जिससे न केवल वो प्री मैच्योर डिलीवरी की समस्याओं से ऊबर पाता है अपितु धीरे-धीरे उसका वजन नियंत्रण में आ जाता है । उसका अनेक प्रकार की बीमारियों से बचाव हो जाता है व बच्चा खुश और स्वस्थ रहता है ।

कंगारू केअर से माँ को भी होता है सुखद एहसास | Kangaroo mother care benefits in hindi.

कंगारू मदर केयर से सिर्फ शिशु को ही नहीं अपितु माताओं को भी लाभ होता है । बाल विशेषज्ञ बताते हैं कि शिशु के जन्म के बाद माताएँ शारिरिक रूप से कमजोर हो जाती हैं । ऐसे में शिशु को छाती से लगाने पर उन्हें काफी सुखद महसूस होता है, जो सिर्फ एक माँ ही महसूस कर सकती है ।

कहते हैं जब इंसान खुश होता है तो बड़ी से बड़ी पीड़ा का भी पता नहीं चलता । इस केस में भी कुछ ऐसा ही है। शिशु को छाती से लगाकर रखने की वजह से माताएँ भी शीघ्र ही स्वस्थ हो जाती हैं ।

कंगारू केअर से माँ के स्तनों से पर्याप्त होता है दूध उत्पादन ।

देखा गया है कि शिशु को जन्म देने के बाद भी अनेक माताओं का दूध नहीं बनता है । विशेषज्ञ बताते हैं कि ऐसी महिलाओं को हम कंगारू मदर केयर की सलाह देते हैं । यह प्राकृतिक तौर पर सफल भी रहा है । शिशु को छाती से लगाकर रखने की वजह से उन्हें बेहद संतोष मिलता है । इस कारण अनेक हार्मोनल बदलाव की वजह से माँ के स्तनों में दूध आता है, जिससे वो शिशु को अपना दूध पिला पाती है ।

Kangaroo mother care kaise karen.

कंगारू मदर केयर कैसे करे । Kangaroo mother care kaise karen.

कंगारू केअर करने के लिए नाइटी या सामने से खुलने वाला ड्रेस पहनना आवश्यक होता है । इस दौरान ब्रा नहीं पहनी जाती है । हालांकि अस्पतालों में अलग से ड्रेस दी जाती है । वही नवजात शिशु को टोपी व नैपी पहनाकर, एक हाथ के सहारे सिर को माँ की छाती के बीचो बीच रखना होता है ।

जब शिशु अपनी माँ की छाती से स्पर्श यानी स्किन टू स्किन कॉन्टैक्ट हो जाने पर शिशु की पीठ के हिस्से को ढकने की सलाह दी जाती है । ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि शिशु को गर्माहट मिले । इस बीच शिशु के साथ माँ को आराम करने को कहा जाता है।

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कंगारू केयर के लिए लें डॉक्टरी परामर्श –

कंगारू केयर के लिए सबसे पहले डॉक्टरी सलाह लेना आवश्यक है । हेल्थी बने रहने के लिए शिशु के जन्म के तुरंत बाद यह तरीका आजमाने का प्रयास करें । कंगारू मदर केयर (KMC) में माँ या किसी अन्य देखभाल कर्ता की देख-रेख में नवजात शिशुओं को त्वचा से त्वचा के संपर्क में रखकर प्रीटरम या पैदाइशी कम वजन वाले शिशुओं को रखा जाता है ।

केएमसी अब देखभाल के प्रामाणिक मानक बन गए हैं । ये या तो एक विकल्प के रूप में या प्रौद्योगिकी आधारित देखभाल के लिए एक सहायक के रूप में होते हैं । कंगारू केअर ( KMC ) के परिणाम स्वरूप नवजात शिशुओं को गर्म और सुविधाजनक रखने में मदद करता है । शिशु को ठंड, तनाव और हाइपोथर्मिया से सुरक्षा की जा सकती है वही ह्रदय, श्वसन दर, ऑक्सीजन एवं नींद पैटर्न भी स्थिर हो जाते हैं ।

नवजात शिशु की बेहतर देखभाल । Newborn baby care in hindi.

कंगारू केयर उपचार से स्तन पान दरों में माताओ में दूध उत्पादन में भी काफी वृद्धि करता है । वही शिशु वजन बढ़ाने में सुधार करता है । नोसोकोमियल जैसे संक्रमण की घटनाओं को कम करता है। सबसे बड़ा फायदा यह है कि शिशु और माँ के बीच भावनात्मक संबंध में सुधार करता है ।

बच्चे केएमसी को सभी स्थिर एलबीडब्ल्यू शिशुओं में इंगित किया गया है । कमजोर व बीमार शिशुओं के लिए चल रहे चिकित्सा उपचार के दौरान अल्पकालीन केएमसी ट्रीटमेंट शुरू किए जा सकते हैं । जबकि बच्चे को ऑर्गैस्ट्रिक ट्यूब या ऑक्सीजन थेरेपी के माध्यम से या वेंटिलेटर पर भी खिलाया जा रहा है ।

इनके लिए सभी माताएँ केएमसी को शिक्षा, उम्र, समानता, संस्कृति एवं धर्म के बावजूद प्रदान कर सकती हैं । जो भी महिला किसी शिशु को यह उपचार प्रदान कर रही है, उस माँ को हर तरह की गंभीर बीमारी से मुक्त होने के साथ ही उसे अपने एक्सपर्ट द्वारा सुझाए गए पर्याप्त आहार और पूरक आहार यथा समय प्राप्त करने चाहिए । माँ को प्रत्येक प्रकार से पूर्ण स्वच्छता बनाए रखनी चाहिए ।। डॉ. राजेश कुमार जैन ।।

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