तीसरी आँख कैसे खोले । Third eye activation in hindi.

Third eye activation in hindi.

Third eye activation in hindi. आदि नाथ शिव के चित्रण में शिव की तीसरी आँख भी जरूर बनाई जाती है । इसी प्रकार शिवालयों की रचना बिना नंदी की मूर्ति के पूर्ण नहीं मानी जाती । तो क्या यह मात्र आस्था या पूजा-विधान की बात है या इसके पीछे कोई गूढ़ रहस्य भी है ? शिव भोलेनाथ का तीसरा नेत्र ( Third Eye ) भौतिक नेत्र नहीं है, और न ही शिवालय के बाहर बैठे नंदी भी । इसके मर्म को समझने का प्रयत्न करना चाहिए । जिससे अपने में उसी प्रकार की विशिष्ट शिव दृष्टि का आह्वान कर सकें ।

भोलेनाथ को सदा त्रयंबक कहा गया है, क्योंकि उनकी एक तीसरी आँख भी है । इस तीसरी आँख का अर्थ ये नहीं कि उनके माथे पर यह आँख निकल आई ! अपितु इसका अर्थ केवल यही है कि – बोध या अनुभव का एक अन्य दिव्य द्वार खुल गया जैसे हमारी आँखें केवल भौतिक वस्तुओं को देख सकती हैं । किन्तु यदि उनको किसी चीज से ढक दें , तो वे उससे आगे नहीं देख पाती । किन्तु यदि तीसरी आँख खुल जाती है, तो इसका अर्थ होगा कि अनुभव का एक अन्य द्वार खुल जाता है, जो कि अन्य बहुत कुछ देख सकता है ।

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तीसरी आँख को जागृत करना क्या है ? What is Third eye activation in hindi.

सामान्यतः कुण्डलिनी साधना के फलस्वरूप जब मूलाधार चक्र, जो गुदामार्ग और जननांग के मध्य स्थित है, जहाँ पर कुण्डलिनी शक्ति सर्पिणी वहाँ स्थित शिवलिंग से साढ़े तीन फेरा देकर अपने मुँह में पूंछ दबाकर प्रसुप्त पड़ी रहती है । इस अवस्था में वह कामना वासना का विष वमन करते रहती है । सहस्रार से टपकने वाले सोमरस को पीकर सुषुम्णा नाड़ी में उर्ध्व गमन करती है । उसके इसी क्रम में कुण्डलिनी शक्ति ( Kundalini shakti ) विभिन्न चक्रों को भेदन करके भ्रूमध्य स्थित आग्यांचक्र का भेदन करती है ।

तब इस चक्र का जागरण होता है तो अलौकिक सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं इसी अवस्था को तीसरी आँख का जागरण ( Third eye activation ) कहते हैं ।
जब हम अपनी तीसरी आँख के चक्र की खोज करते हैं, यह चक्र हमारे शरीर में स्थित ऊर्जा का मुख्य केन्द्र हैं । वास्तव में, यह ऊर्जा पहियों में होते हैं जो रीढ़ की हड्डी के ऊपर खड़ी होती हैं । कहा जाता है कि इसके सात चक्र होते हैं, और ये सभी हमारी शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक विकास के एक अलग भाग से तारतम्यता रखती है ।

वास्तव में तीसरी आँख चक्र, छठी चक्र है । तीसरी आँख चक्र दोनों आँखों के मध्य मस्तिष्क के समक्ष स्थित है । यह केवल नाक के पुल के ऊपर स्थिति रहता है । किन्तु जब हम ध्यान करते हैं, तो इस चक्र पर ध्यान स्थित करने की कोशिश करनी चाहिए ।

ये हमें जगत को अधिक स्पष्ट रूप से देखने में व्यापक दृष्टिकोण प्रदान मदद करता है । तीसरी आँख खोलना उचित होने पर स्वाभाविक रूप से होगा । तीसरी आँख खोलने की कोशिश करने से विपरीत प्रभाव पड़ेगा । मास्टर ली होंगज़ी के मुताबिक यह इसे और अधिक कठिन बना देगा ।

आज्ञा चक्र और तीसरी आँख के बीच सम्बन्ध ?

यदि ऐसी अवस्था प्राप्त हो जाय कि भौतिक प्रकृति से बाहर कुछ देख पाना आसान हो तो कहा जायेगा कि तीसरी आँख खुल गयी है । तीसरी आँख का चित्रण मात्र प्रतीकात्मक है, क्योंकि आज्ञा चक्र जानने की क्रिया से जुड़ा हुआ है, अतः इस तीसरी आँख को दो आँखों के बीच में चित्रित किया जाता है । किन्तु वास्तव में वह किसी एक स्थान पर स्थित नही है ।

यदि आप किसी स्थान पर किसी तरह की ऊर्जा को अनुभव करते हैं । लगता है कि यहाँ कुछ विशेष है तो सबसे पहले आप अपनी आँखें बंद कर अपनी उंगलियाँ आँख से लगाते हैं । तो इसका अर्थ यह नहीं है कि तीसरी आँख आप की उंगलियों में है ? एक तरीके से हाँ, क्यों कि तीसरी आँख का कोई निर्धारित भौतिक स्थान नहीं होता । यह तो मात्र एक अनुभव है ।

तीसरी आंख कैसे खोलें । how to open Third eye in hindi.

हमारी दोनों भौतिक आँखें मात्र हमारी इंद्रियाँ हैं, जो भ्रम को दूर करने में सक्षम नहीं हैं, क्यों कि हम जो भी देखते हैं, वही सत्य नहीं है । हम किसी भी व्यक्ति को देखकर उसके विषय में अनुमान लगाते हैं, किन्तु उसके भीतर स्थित शिव को नहीं समझ पाते ।
अर्थात – हम वस्तुओं को इस प्रकार देखते हैं, जो हमारे जीवित रहने के लिए आवश्यक हैं । अन्य कोई दूसरा प्राणी उसे भिन्न प्रकार से देखता है, जो उसके लिए उपयोगी है । इसीलिए सब लोग इस दुनिया को माया कहते हैं । माया का अर्थ ये है कि ये एक प्रकार का धोखा है । इसका अर्थ ये नहीं है कि अस्तित्व एक कल्पना है ।

दूसरी ओर नंदी अनंत प्रतीक्षा का प्रतीक है । हमारी भारतीय संस्कृति में प्रतीक्षा को विशिष्ट गुण माना जाता है । नंदी अपनी ग्रहणशीलता के कारण भोलेनाथ का निकटस्थ सेवक है । नंदी का सर्वोत्तम गुण यही है, वह सदैव सजग होकर बैठा रहता है । यह अत्यंत महत्वपूर्ण बात है – वह सजग है, सुस्त नहीं है । महत्वपूर्ण बात यह है कि आपको अपनी ऊर्जा को विकसित कर अपना स्तर बढ़ाना होगा ।

पुराणों के अनुसार – जब शिव जी ने तीसरी आँख खोली तो उसमें से आग की लपटें निकली । ये इस बात की प्रतीक थी, कि उन्होंने अपने अंदर से वह सब जला दिया जिसे जलाया जा सकता था । तब उनके प्रत्येक रोम से पसीने और रक्त के स्थान पर भस्म फूटने लगी जिससे ये पता चलता है कि उन्होंने अपने अंदर के अज्ञान के एक-एक कण को जला दिया । जब ये सब हो गया, तो उनके लिए तीसरी आँख खोलना कठिन नहीं रहा ।

तीसरी आँख खोलने के उपाय । Third eye activate karne ka tarika.

हमारे अंदर एक खालीपन हो जो बंद दरवाजे को अपनी ओर खींच कर दरवाजे को प्राकृतिक रूप से खोल दे । शिव जी ने न सिर्फ अपने विचार, भाव, रिश्ते, अपनी चीजों को जलाया है, अपितु अपने सम्पूर्ण अस्तित्व को भी जला दिया । अब पूर्णतः रिक्तता रह जाने से दरवाजा भीतर गिर कर खुल जाएगा ।

यदि हम उन चीज़ों को समझना चाह रहे हैं, जिसका कोई भौतिक स्वरूप नहीं है, तो तीसरी आँख को भौतिक शरीर के किसी खास स्थान पर स्थापित करने का प्रयास न करें । जिसका कोई भौतिक स्वरूप नही है वह कहीं भी हो सकती है ।

Third eye meditation in hindi.

तीसरी आंख खोलने के लिए योग साधना । Third eye meditation in hindi.

योग साधना की द्रष्टि से यदि देखा जाये तो योग साधना का सतत अभ्यास करते रहने से यह ग्रंथि विकसित की जा सकती है और वह सब देखा समझा जा सकता है जो हमारी आँखों से नहीं दिखाई देता । शास्त्रों में तो यह भी बताया गया है कि तीसरी आँख में वो शक्ति है जिसकी सहायता से किसी को शाप या वरदान देना भी संभव हो सकता है ।

तीसरी आँख खोलने का मंत्र एक नायाब और साधना के क्षेत्र में यह अत्यंत महत्वपूर्ण आयाम है । इसका प्रयोग प्रत्येक साधक की अध्यात्मिक शक्ति पर निर्भर करता है- किसी साधक को तीन, किसी साधक को दस, किसी को पन्द्रह,दिन में और अति क्षीण आध्यात्मिक शक्ति वाले साधक की भी तीसरी आँख अधिक से अधिक 21 दिन में इस विधि से खुल जाती है ।

सबसे पहले अपने इष्ट देवता, मंत्र पर पूरा विश्वास रखें । साथ ही साथ अपने गुरु पर पूरा विश्वास रखने के बाद ही इस विद्या का प्रयोग करें । इस के प्रयोग के लिए सुयोग्य गुरु की आज्ञा और आशीष लेना अति आवश्यक है । बिना आज्ञा से इस कार्य को करने वाले को भयंकर परिणामों को भुगतना पड़ सकता है ।

तीसरी आंख खोलने का मंत्र । Tisari ankha kholane ka mantra.

सर्वप्रथम अपने गुरु को उचित दक्षिणा देकर संतुष्ट करें उसके बाद उनकी देख- रेख में ही ये अनुष्ठान संपन्न करना चाहिए । इस प्रयोग का सिद्ध समय 21 दिन का है । रोज मध्यरात्रि  2:00 बजे से इस अनुष्ठान को प्रारंभ कर हर रात डेढ़ घंटे तक किया जाना चाहिए ।

नियमित रूप से मध्य रात्रि में नहाने के बाद स्वच्छ वस्त्र पहन कर शांतचित्त हो पूर्व दिशा की ओर मुख करके किसी भी सुलभ आसन में ध्यान पूर्वक बैठना चाहिए । रीड की हड्डी को सीधा रखते हुए बैठना है । मन की हलचल शांत करते हुए आंखों को बंद कर लेना है । तीसरा नेत्र तब खुलता है जब दोनों नेत्र बंद हो जाते हैं और तीसरे नेत्र का प्रकाश होता है।

शुद्ध रुई से दो गोलियाँ तैयार करके इनमें पिसी हुई काली मिर्च पावडर का छिड़काव कर थोड़ा सा पानी मिलाकर अपने दोनों कानों में रखना है । इसके बाद भगवती महामाया का ध्यान करके रुद्राक्ष की माला से पूर्ण श्रद्धा भक्ति पूर्वक इस मंत्र का हर रोज रात को 1100 बार जाप करना है ।

  ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे ॐ ग्लौं हुँ क्लीं जूं सः
ज्वालय-ज्वालय, ज्वल-ज्वल, प्रज्वल-प्रज्वल ऐं ह्रीं
क्लीं चामुंडायै विच्चे ज्वल हं सं लं षं फट् स्वाहा ।

इस मंत्र के सिद्ध होने पर लाभ स्वरूप आपके जीवन में घटने वाली प्रत्येक घटना का पूर्वाभास होने लगता है । साधक जिस वस्तु का भी स्मरण चिंतन करता है, उसके विषय की सम्पूर्ण जानकारी साधक की आँखों के सामने चल चित्र की तरह घूमने लगती है ।

तीसरा नेत्र खोलने की साधना । Third eye activation in hindi.

साधक को श्रद्धा पूर्वक अपनी आँखों को बंद करके जाप करते हुए और मन को शांत रखकर स्वयँ को माँ भगवती के चरणों में समर्पित कर देना है । मन में माँ के प्रति दृढ़ विश्वास रखते हुए ऐसा करने से साधक का तीसरा नेत्र  शीघ्र ही खुल जाएगा और उसे जीवन में घटने भूत, वर्तमान और भविष्य सभी घटनाओं का और उनके उपाय का पूर्ण ज्ञान हो जाएगा । साधक को अपने सामने दाईं ओर शुद्ध देसी घी का दीप जलाए रखने साथ बाई ओर जल से भरा एक घड़ा अवश्य रहना चाहिए ।

यह साधना करते हुए प्रतिदिन साधक का स्थान और समय एक ही होना चाहिए पूरी साधना के 21 दिनों में किसी भी प्रकार परिवर्तन नहीं करना चाहिए । साधक को नियम संयम से विश्वास पूर्वक साधना करते हुए, ज़मीन पर सोते हुए सात्विक भोजन खाना और ब्रह्मचर्य व्रत का पूर्णतः पालन करना चाहिए ।

पढ़े – कुंडलिनी शक्ति का पूरा सच । Kundalini shakti in hindi.

तीसरी आंख खुलने पर क्या होता है । Third eye activate hone par kya hota hai.

इस साधना से प्राप्त ज्ञान किसी भी पैशाचिक शक्ति से अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है । अनेक लोग भूत- पिशाच इत्यादि सिद्ध कर लेने पर फँस जाते हैं किन्तु यह साधना पूर्णतः निर्दोष होती है । साधना के पूर्ण होने के अंत में साधक को नवार्ण मन्त्र से उत्तम हवन सामग्री से हवन भी करना चाहिए ।

साधक को इस साधना से प्राप्त हुई किसी भी शक्ति का प्रकाट्य साधना काल के समय नहीं करना चाहिए । और न ही किसी को भी इस विषय मे कुछ बताना चाहिए । साधना काल के समय माँ भगवती, महामाया, आदि शक्ति विभिन्न रूपों में साधक को दर्शन देती हैं ।

साधक को साधना काल में किसी प्रकार के सुरक्षा चक्र की जरूरत नहीं होती । अपनी साधना की सफलता के लिए उसे नित्य प्रति दान अवश्य करना चाहिए । यह साधना करने के उपरांत साधक तीनों कालों का ज्ञाता हो जाता है और माँ भगवती उसे तीनों कालों का सम्पूर्ण ज्ञान प्रदान करती हैं ।

आसन और वस्त्र यदि लाल रंग के हो तो साधना जल्दी सम्पूर्ण होती हैं । साधना शुरू करने से पहले विधि पूर्वक गणेश गुरू और क्षेत्रपाल का पूजन करके उनके पसंदीदा भोग भी अवश्य देना चाहिए ।

Third eye activation in hindi. अभी तक रहस्यपूर्ण एवं गुप्त साधना मानी जाती थी । किन्तु अनेकों उत्तम साधकों द्वारा इस साधना को सिद्ध कर लेने से इसके परिणाम बहुत सकारात्मक निकले ।यह साधना निष्फल नहीं हो इसलिए श्रद्धा- भक्ति पूर्वक साधना करने वाले साधको को अभीष्ट सीधी की प्राप्ति होती है ।

यह बात सदा याद रखनी चाहिए कि तीसरी आँख खोलना एक प्रक्रिया है अपने मन में दृढ़ विश्वास रखने के साथ धैर्य रखते हुए निरन्तर प्रयास करना बहुत आवश्यक है ।

तीसरा नेत्र खोलने के फायदे । Benefits of Third eye activation in hindi.

तीसरी आँख ( Third eye chakra meditation ) का खुल जाना या चेतना का जागृत होना जिसे छठी इन्द्रिय भी कहते हैं । उस अवस्था का प्रतीक है, जिसके द्वारा व्यक्ति इस जगत को एक अलौकिक दृष्टि से देख सकता है । यद्यपि तीसरी आँख का उपयोग करना, मतलब संसार से अलिप्त या पागल बन जाना या मेजिक पॉवर या आलौकिक शक्तियाँ प्राप्त करने के स्थान पर इसका अर्थ है । मन और भावनाओं पर बेहतर कंट्रोल रखना और अपने आसपास की दुनिया के विषय में अंतर्ज्ञान की गहन समझ होना ।

लेकिन यह उपलब्धि किसी भी साधक को रातों रात ही प्राप्त नहीं होती । इसके लिए अपने जीवन में आध्यात्मिकता को समर्पण के साथ अपनाना होगा । जिसके लिए विशिष्ट प्रकार की चेतनात्मक दैनिक जागृति की आवश्यकता पड़ती है जो निरन्तर कठिन परिश्रम और सतत अभ्यास से और अत्यंत कुशल गुरु के मार्गदर्शन से ही प्राप्त हो सकती है ।

तीसरी आंख से दैवीय शक्तियां प्राप्त होती हैं

अक्सर लोगों को लगता है कि उनकी तीसरी आँख खुलने ( Third eye activation in hindi. ) के बाद उन्हें विशिष्ट दैवीय शक्तियाँ प्राप्त हो जाएँगी किंतु ऐसा नहीं है । तीसरी आँख के खुलने के बाद आत्मा का दर्शन होता है । प्राकृत नेत्रों मैं स्थूल दृष्टि होती है और दोनों आँखों के बीच में स्थित तीसरी आँख में दिव्य दृष्टि होती है । यद्यपि उस दृष्टि से आत्मा, ईश्वर, ब्रह्म का दर्शन किया जाता है किन्तु केवल दर्शन कर लेना ही पर्याप्त नहीं है ।

मान लिया कि हमने राजा को देख लिया किन्तु उसे देखने से हमें कोई लाभ नहीं मिलेगा । जब तक कि हम उसके कृपा पात्र नहीं बनेंगे । उसी प्रकार आत्मा, ईश्वर या ब्रह्म का दर्शन करने के बाद ब्रह्म अथवा आत्मा मय बने रहना भी जरूरी है । आत्मा मय में बने रहना ही एक आध्यात्म स्थिति है । आध्यात्म के द्वारा ही तो आत्मा ईश्वर ब्रह्म की उपलब्धि होती है किंतु परमात्मा को किसी क्रिया अथवा कर्म के द्वारा नही पाया जा सकता है । वह तो मात्र कृपा साध्य है, क्रिया साध्य नहीं ।

तीसरा नेत्र खुला होने का लाभ यह है कि व्यक्ति अन्य आयामों के अस्तित्व के प्रति अधिक जागृत हो जाता है और यह आगे की साधना के लिए एक प्रोत्साहन और सहायक हो सकता है ।

तीसरा नेत्र खोलने का नुकसान | side effects of Third eye activation in hindi.

तीसरा नेत्र खोलने के यदि कुछ लाभ हैं तो बहुत से नुकसान (Third eye side effects ) भी हैं, जिनमें से एक नुकसान यह है कि आप शानदार प्राणियों को देख सकते हैं जो आपको आपके द्वारा अनुसरण किए जा रहे मार्ग से दूर करने का प्रयत्न करते हैं । मास्टर ली होंगज़ी चेतावनी देते हैं कि दो या दो से अधिक आध्यात्मिक पथों का अनुसरण करने से आप कहीं नहीं पहुँचेंगे, क्योंकि प्रत्येक पथ में अभ्यासी को बदलने का एक विशिष्ट तरीका है और दो विधियाँ अनुकूलनीय नहीं होंगी । इस प्रभाव से कि कोई भी कार्य नहीं करेगा ।

अंत में यही कहना है कि Third eye activation in hindi. प्रक्रिया आसान नहीं है । किसी योग्य गुरु के सानिध्य में साधना करना उचित समझे ।। डॉ.राजेश कुमार जैन, श्रीनगर गढ़वाल, उत्तराखंड ।।

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