नसों की कमजोरी की होम्योपैथिक दवा । 5 न्यूरोपैथी दर्द की दवा

Naso ki kamjori ki homiyopaithi dawa.

होम्योपैथिक दवा – जीवन शैली में आए बदलाव के कारण अनेक तरह की दुष्प्रभाव शरीर में देखे जा रहे हैं जिसमें नसों की समस्या से लोग अत्यधिक ग्रसित होते जा रहे हैं। नसो की कमजोरी को मेडिकल टर्म में न्यूरोपैथी कहते हैं । नसों का काम दिल तक खून पहुंचाने का होता है जिससे हमें ऑक्सीजन मिलता है ।

अतः नसों की कमजोरी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है । इससे पहले इसका परिणाम बहुत घातक हो लोगों को सचेत होकर इसके उपचार के लिए तत्पर रहना चाहिए अन्यथा हमारे शरीर में कई तरह की और भी परेशानी हो सकती है । इनका इलाज होम्योपैथिक से हो सकता है ।

शरीर में अनेक तरह की सुक्ष्म नसों का जाल बिछा हुआ है । अगर एक भी नस दब जाती है तो शरीर में अनेक तरह की परेशानियां हो जाती है उठने, बैठने, चलने फिरने में लोग अपने आपको कंफर्टेबल महसूस नहीं करते हैं । तो चलिए जानते है नसों की कमजोरी की होम्योपैथिक दवा के बारे में – Naso ki kamjori ki homiyopaithi dawa.

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नसों की कमजोरी के लक्षण

नसों में कमजोरी का इलाज बहुत जरूरी है। नसों के दबने से शरीर में कुछ लक्षण दिखाई देते हैं। जैसे

  • लोगों की याददाश्त कमजोर होती चली जाती है लोग भूलने लगते हैं।
  • शरीर में रक्त का संचालन सही ढंग से नहीं होने से व्यक्ति को चक्कर आने की समस्या होने लगती है।
  • उठने बैठने में परेशानी के साथ-साथ आंखों के सामने अंधेरा छाने लगता है इतना ही नहीं अपच अनिद्रा हृदय स्पंदन जैसी समस्याओं का लक्षण दिखने लगता है।

इन सभी लक्षणों के कारण व्यक्ति को असहनीय दर्द का सामना करना पड़ता है । इसीलिए इसका उपचार तत्काल आवश्यक है । अगर हो सके तो घर में जैसे गर्म पानी से सिकाई करें या फिर बर्फ के टुकड़ों से भी शिकायत कर सकते हैं । सिकाई करने से रक्त का संचालन सुचारू ढंग से शरीर में प्रवाहित होने लगती है जिससे नसों में लचीलापन आता है और व्यक्ति को तत्काल रिलीफ महसूस होता है ।

नसों की कमजोरी की होम्योपैथिक दवा ।

नसों की कमजोरी का होम्योपैथी में इलाज सम्भव है । इनकी दवा नसों की कमजोरी को दूर करने में सहायक है । हालांकि पतंजलि एवं आयुर्वेद में भी सम्भव है । लेकिन इस कड़ी में होम्योपैथी दवाओं के बारे में बताने जा रहे हैं ।

नसों की बीमारी में कुछ होम्योपैथी दवाइयों का जिसके सेवन से व्यक्ति को आराम मिलता है। यह दवा प्राकृतिक गुणों से भरपूर होती हैं । जिनका सेवन डॉक्टर के मार्गदर्शन से कर सकते है ।

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एगारीकस मस्करी । SBL Agaricus Muscarius Dilution.

यह एक होम्योपैथिक टॉनिक है जो तंत्रिका संबंधी खराबी जैसे कि मरोड़ते, कांपते, चक्कर आना, प्रलाप व सतर्कता आदि के लिए उपयोग की जाती है । यह दवा तंत्रिका संबंधी और न्यूरोटिक स्किन प्रॉब्लम के लिए उपचार करती हैं । इसके साथ साथ जोड़ो व मांशपेशियों के दर्द से राहत मिलती है ।

इस दवा के सेवन करने से मरीज में ठंड्या सूनापन महसूस हो सकता है लेकिन यादवा काफी कारगर है जिससे धीमे-धीमे नसों की बीमारियों में आराम मिलता है। इनका अधिक सेवन से क्रोनिक फेफड़े के संक्रमण के संकेत हो सकते हैं ।

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नसों की कमजोरी की होम्योपैथिक दवा – बेलाडोना । Belladonna 30 CH.

यह एक प्रकार पौधा हैं जिनका उपयोग होम्योपैथी दवा बनाने के लिए किया जाता हैं । इनकी पत्तियां एवं जड़े उपयोगी होती हैं । बेलाडोना का इस्तेमाल काली खांसी, झटके, ऐंठन एवं बुखार के लिए किया जाता हैं । इनके अलावा पार्किंसंस रोग, गति की बीमारी, नसों में दर्द, सूजन, शूल, दर्दनाशक एवं आंत्र रोग के लिए किया जाता हैं ।

इनका सेवन होम्योपैथी डॉक्टर के सलाह से सेवन करें । इनकी 10 – 10 बूंदे सेवन की जा सकती हैं । अधिक खुराक सेवन करने से बचे ।

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नसों की कमजोरी की होम्योपैथिक दवा । naso ko kamjori ki homeopathic dawa.

  1. कैनम हाइड्रोक्लोरिक – यह दवा अल्कलाइड फ्राम एरिट्राक्सील आन कोका के नाम से जाना जाता है जोकि बेहद असरदार है इसके सेवन से त्वचा में परिवर्तन हो सकता है। डाक्टर के निर्देशानुसार ही सेवन करें।
  2. जिंटम मेटालिकम – इसका उपयोग नसों की कपकपी और असामान्य रूप से शरीर में आए बदलाव के कारण बाहों में दर्द होने जैसी समस्या या फिर ठंड महसूस होना नींद ना आना जैसे लक्षण में इस हेम्यो पैथिक दवा का बहुत ही असरदार होता है।
  3.  ओरियंडर – यह दवा ऐसे लोगों में काफी कारगर होता है जिन्हें उंगलियों में सूजन के साथ-साथ जलन अकड़न जोड़ों में 1 रन और निचले अंगों में लकवा और कमजोरी जैसी समस्याएं होने लगती हैं।
  4. प्लेटिनम मेटालिकम – जिनके शरीर में ऐंठन मांसपेशियों में जकड़न चेहरे की हड्डियों में दर्द सूनापन बैठने और खड़े होने में तकलीफ महसूस होती है इतना ही नहीं शरीर में ठंडापन या सुन होना भुजाओं और टांगों में अत्यधिक थकान और लकवा जैसे लक्षण महसूस होने में यह दवा बहुत ही प्रभावशाली होता है।
  5. कैप्सिकम एनम – नींद ना आने की परेशानी के साथ खाते समय शरीर में दर्द घुटनों में दर्द शरीर में हवाओं का असर से दर्द महसूस होना और पैरों में दर्द होने में इस दवा का बहुत ही असर होता है लेकिन होम्योपैथिक डॉक्टर के सलाह लेने के बाद ही इन दवाओं का सेवन करना चाहिए।

नसों की कमजोरी के लिए आयुर्वेदिक दवा Patanjali.

आयुर्वेद के अनुसार नसों की कमजोरी के लिए अश्वगंधा एक बेहतरीन औषधि है । इनका नियमित रूप से सेवन करने से नसों की कमजोरी दूर होती हैं बल्कि शारीरिक थकान व कमजोरी दूर होती है । इनका सेवन करने के मर्दाना कमजोरी भी दूर होती है । इनका सेवन दूध के साथ किया जा सकता है । मार्केट इनसे निर्मित चूर्ण, टेबलेट एवं कैप्सूल उपलब्ध हैं ।

  • हल्दी – आयुर्वेद के अनुसार नसों की कमजोरी के लिए हल्दी भी फायदेमंद होती हैं । यह एंटीऑक्सीडेंट के गुणों से भरपूर होती हैं । इनका सेवन दूध के साथ किया जा सकता है ।
  • सेंधा नमक – यह मैंगनीशियम व सल्फेट के गुणों से भरपूर होता है । जो नसों के दर्द के लिए कारगर है । इनका उपयोग नहाने के पानी मे मिलाकर स्नान करने में किया जाता है । जिसे नसों में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है ।
  • मिश्री और घी – नसों की कमजोरी के लिए मिश्री व घी भी लाभकारी है । इनका सेवन दूध के साथ किया जाता है ।

नसों की कमजोरी के लिए तेल ।

  • सरसों के तेल – नसों की कमजोरी के लिए सरसो का तेल रामबाण औषधि है । इस तेल की नियमित रूप से गुनगुने तेल से हल्के हाथों से मालिश करने पर नसों में रक्त संचार बढ़ता है । जिसे दर्द कम होता है ।
  • पुदीने का तेल । Peppermint oil – नसों की कमजोरी के लिए यह तेल एक लाभदायक औषधि है । इनका नियमित रूप से मालिश करने पर से मालिश करने से दर्द एवं सूजन से राहत मिलती है ।

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नसों की कमजोरी के लिए योग

नसों की कमजोरी के लिए दवाई का सेवन करने के साथ – साथ इसका सटीक इलाज व्यायाम करना भी है । नियमित रूप व्यायाम करने से शरीर में बड़ी गांठ खुल जाती है । जिससे नसों में दबाव कम पड़ता है और व्यक्ति को आराम मिलता है । वही नसों में ब्लड सर्कुलेशन भी बढ़ता है जिसे ऑक्सीजन नस नस में पहुँच जाती है ।

नसों में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ने से सुन्नता दूर हो जाती हैं । जिसे दर्द एवं सूजन से राहत मिलती है । इस योग इस प्रकार से है –

इसके अलावा सुबह शाम की सैर, तेज कदमो से चलना, उठक बैठक एवं साइकिलिंग भी उपयोगी एक्सकरसाइज है ।

अंतिम शब्द – अनियंत्रित जीवन शैली के कारण शरीर में हुए मांसपेशियों और नसों के बीच असंतुलन से जो शरीर में प्रभाव उत्पन्न होते हैं । उसका उपचार तो निश्चित होना आवश्यक है । लेकिन नसों की कमजोरी की होम्योपैथिक दवा के सेवन से पहले डॉक्टर की सलाह लेना भी बहुत आवश्यक है ।। कल्पना झा बोकारो ।।

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