
Benefits of buttermilk in hindi. 80 वर्षीय बुजुर्ग महिला के चमकते चेहरे और स्वस्थ जीवन का रहस्य वे अपने भोजन में रोजाना एक कटोरी छाछ को देती हैं। वे इसमें सेंधा नमक, हींग और भुने जीरे की थोड़ी मात्रा मिलाती हैं। अच्छी सेहत और अच्छे भोजन (ताजा, सुपाच्य और संतुलित ) में सम्बन्ध है। सुबह के भोजन में छाछ ( Chhachh ) अवश्य शामिल करें।
भारतीय भोजन की थाली सेहतमंद भोजन है। दाल प्रोटीन, चावल और रोटी कार्बोहायड्रेट, सब्जी से फाइबर और छाछ जिसमें माइक्रोन्यूट्रिएंट्स एवं एंजाइम्स के साथ पर्याप्त मात्रा में जल होता है। इसलिए छाछ को अपने भोजन में अवश्य शामिल करें। हमारी परंपरागत थाली में छाछ से बना रायता अवश्य होता है। छाछ को गर्मियों में अमृत पेय माना जाता है। आयुर्वेद में भोजन के पश्चात छाछ का सेवन बहुत फायदेमंद है। दही मंथन से मक्खन निकाल कर जो लिक्विड बचता है उसे छाछ कहते हैं। तो Global health tricks में जानते है – छाछ ( chhachh ) के फायदे व नुकसान । Benefits of buttermilk in hindi –
प्रति 100 ग्राम छाछ में क्या क्या होता है ?
100 ग्राम छाछ में कुल कैलरी – 40, वसा – 0.9 ग्राम, कोलेस्ट्रॉल – 4 मिग्रा., सोडियम – 105 मिग्रा., पोटैशियम: 151 मिग्रा., कॉर्बोहाइड्रेट – 4.8 ग्राम, प्रोटीन – 3.3 ग्राम, विटामिन B12 एवं फास्फोरस होता है ।
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छाछ कैसे बनाएँ ?
शाम को दूध कुनकुना कर ले अब थोड़ा सा दही डालकर चम्मच से मिला दें । रात भर के लिए ढक कर रख दें । सुबह तक दही बन जाता है । इसी से छाछ बनता है । छाछ बनाने के लिए दही को मथना पड़ता है । आज कल दही मंथन की मशीन भी उपलब्ध है । जब दही मंथन के दौरान मक्खन को अलग करने के बाद जो पेय सफेद पदार्थ बचता है उसे आम भाषा में छाछ कहते हैं।
छाछ के गुण – Benefits of buttermilk in hindi.
आयुर्वेद में छाछ (Chhachh ) के अनेक गुणों के बारे में बताया गया है। छाछ में लघु, मधुर, अम्ल, अग्नि बढ़ाने वाले तत्व होते हैं। जो शरीर के तंत्र को स्वच्छ करने में सहायक होते है । भोजन के बाद छाछ का सेवन करना पाचन क्रिया के लिए बहुत लाभदायक माना जाता है। छाछ के साथ नमक मिला कर पीने से यह पाचन-शक्ति को बढ़ाती है। दही को मंथन करके उनमे से मक्खन को अलग किया गया सफेद रंग का छाछ बहुत हल्का और लाभदायक पेय माना गया है। तो जानते है – Benefits of buttermilk –
छाछ एक इम्युनिटी बूस्टर – Benefits of buttermilk for Immunity booster.
आज विभिन्न रोगों का सुनकर हमारा मन कांप जाता है, समझदारी इसी में है कि हम बचाव पर ध्यान दें। हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत रखें। छाछ का नियमित इस्तेमाल हमारी इम्युनिटी बढ़ाता है।
◆ सात्विक आहार छाछ – छाछ को दही से बेहतर माना जाता है क्योंकि जो तत्व दही में नहीं मिलते वो केवल छाछ में मिल जाते है । वही फैट व केलोरी की बात करे तो छाछ में दूध व दही की अपेक्षा कम होते हैं। यह पीने में बहुत स्वादिष्ट होती है क्योंकि नमकीन व खट्टी होती है । यही कारण है कि हर इंसान की पसंदीदा पेय पदार्थ बन जाती है । इस इस पेय पदार्थ को मट्ठा भी कहा जाता है।
गर्मियों में शीतलता प्रदान करता है मठ्ठा या छाछ – Benefits of buttermilk for summer season.
छाछ भारतीय पारंपरिक पेय पदार्थों में से एक है। गाय के दूध की छाछ को श्रेष्ठ मानी जाती है । छाछ तासीर ठंडी होने के कारण इनका उपयोग अक्सर गर्मियों के मौसम में पीने के लिए किया जाता है जो हमारे शरीर में ठंडक देती है। विभिन्न पोषक तत्वों जैसे खनिज और विटामिन से युक्त होने के कारण छाछ हमारे पाचन तंत्र के लिए लाभदायक होता है यही कारण है कि भोजन के बाद इसे पिया जाता है।
◆ हड्डियों की मजबूती के लिए – छाछ कैल्शियम का स्त्रोत है। इसमें विटमिन बी कॉम्प्लेक्स पाया जाता है जो हड्डियों को मजबूत बनाता है।
छाछ और वजन नियंत्रण – Benefits of buttermilk for Weight loss.
कम कैलोरी के कारण छाछ के नियमित इस्तेमाल से वजन नियंत्रित रहता है। नियमित छाछ का सेवन करने से वजन घटाने में मदद मिलती है। छाछ में कैलोरी और फैट की मात्रा बहुत कम होती है। इसलिए एक प्रकार से छाछ फैट बर्नर के लिए उपयोगी है।

◆ कैंसर के लिए उपयोगी – छाछ में विभिन्न एंजाइम होते हैं जिससे यह गंभीर रोगों से रक्षा करता है।
◆ एसिडिटी – पेट मे जलन एसिडिटी में छांछ का सेवन लाभप्रद है।
बवासीर रोग में – Benefits of buttermilk for piles treats –
बवासीर या Piles होने का एक कारण पेट में कब्ज़ होना होती है। भोजन के बाद छाछ पीने से पाचन दुरुस्त होता है और कब्ज़ दूर होता है। इस तरह बवासीर की समस्या में आराम मिलता है। आयुर्वेद में भी बवासीर के लिए यह घरेलू नुस्खा है। इसमें खासतौर पर रिबोफ्लैविन पाया जाता है, जो खाने को ऊर्जा में बदलने में शरीर की मदद करता है। हालांकि छाछ को दूध से बनाये जाने वाला पेय पदार्थ है लेकिन यह पेट की प्रॉब्लम के लिए अच्छा होता है।
◆ शरीर में कफ को करे संतुलित – आयुर्वेद के अनुसार कफ दोष से जुड़े रोगों में फायदेमंद छाछ में त्रिकटु (सोंठ, कालीमिर्च, पिप्पली) और यवक्षार का मिश्रण मिलाकर सेवन करने से कफ से होने वाले रोगों में लाभ मिलता है।
◆ असंतुलित वात के कारण होने वाले रोगों में फायदेमंद – अल्प अम्ल छाछ में सोंठ व सेंधा नमक का मिश्रण मिलाकर सेवन करने से वात के प्रकोप से होने वाले रोगों से आराम मिलता है। पित्त को संतुलित करने में, पित्तजनित रोगों में फायदेमंद होती है । अम्लता रहित छाछ में शक्कर मिलाकर पीना पित्त-विकारों में लाभकारी होता है।
मूत्रकृच्छ्र ( पेशाब करने में दर्द ) रोग में लाभकारी –
अगर आपको पेशाब करते समय दर्द महसूस होता है तो ऐसे में छाछ जिसमें 90% पानी होता है फायदेमंद है। छाछ में गुड़ मिलाकर पीने से इस दर्द से राहत मिलती है।
◆ एनीमिया में भी लाभकारी है छाछ – छाछ में चित्रक मिलाकर सेवन करने से एनीमिया रोग में लाभ होता है। एनीमिया को गंभीरता से लें। छाछ एक औषधि है । छाछ में हींग जीरा और सेंधा नमक मिलाकर पीना इन रोगों के लिए लाभदायक है :
● दस्त
● बवासीर
● पेचिश
● अपच ।
◆ पाचन तंत्र करे मजबूत – पाचन तंत्र अच्छा हो तो सभी बीमारियों से बचा जा सकता है। ह्रदय रोगों में लाभकारी है ।
स्किन के लिए – Benefits of buttermilk for skin –
छाछ स्किन के लिए भी फायदेमंद है । छाछ में आटा मिलाकर लेप करने से झुर्रियां को मिटाया जा सकता है । वही आपकी सुंदरता बढ़ाने में सहायक है ।
◆ गुप्त रोग के लिए लाभदायक – आयुर्वेद के अनुसार छाछ पीना गुप्त रोगों के लिए लाभकारी औषधि है । महिलाओं में सफेद प्रदर एवं पुरुषों में वीर्य पतन, शीध्र पतन एवं स्वप्नदोष के लिए फायदेमंद है ।
◆ अन्य फायदे – छाछ का सेवन हमारी सेहत को कई तरीकों से फायदा ( Benefits of buttermilk ) पहुंचाता है। शरीर में कोलेस्ट्रॉल लेवल भी नियंत्रित रहता है। पाचन शक्ति को मजबूत करता है। बस्ति (पेडू) दर्द में बहुत उपयोगी है । छाछ में पाए जाने वाला विटामिन B12 से घुटनों में होने वाली जलन से बचाता है। शरीर मे पानी कमी मिटाने में सहायक है ।
छाछ का सेवन कब करें –
छाछ का सेवन भोजन करने के बाद करना उपयोगी माना जाता है । इसे ब्रेकफास्ट में सेवन करने के बजाय लंच के समय सेवन करना गुणकारी होता है । हालांकि कुछ लोग तीनो भोजन में छाछ का सेवन करते है ।
छाछ पीने से नुकसान । Side effects of buttermilk.
छाछ पीना फायदेमंद ( Benefits of buttermilk ) होता है वही कुछ नुकसान भी होते है जैसे – छाती में घाव या कमजोरी, मूर्च्छा, चक्कर, जलन, गर्दे की प्रॉब्लम, सर्दी खाँसी और रक्तस्राव में एवं वर्षाकाल की गर्मी में छाछ का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
यदि आप दिल के, टीबी एवं अस्थमा के मरीज़ है तो छाछ का सेवन करने से परहेज़ करे । साथ ही साथ खट्टा और बासी छाछ का उपयोग नहीं करना चाहिए। अत्यधिक छाछ पीना हानिकारक है ।
कब करें पके हुए छाछ का इस्तेमाल ?
बिना पका हुआ छाछ (मट्ठा) कोष्ठ में जमा कफ को तो नष्ट करता है, लेकिन गले में कफ को उत्पन्न करता है। अतः पीनस, खाँसी, दमा और गले के रोगों में ताजे छाछ का प्रयोग न करके पके छाछ को प्रयोग में लाना चाहिए। अब आप छाछ के फायदों से भलीभांति परिचित हो चुके हैं। अपने आहार में सीमित मात्रा में छाछ का उपयोग जरूर करें। इस बात का ध्यान रखें यदि आप किसी बीमारी का ट्रीटमेंट ले रहे है तो चिकित्सक की सलाह से छाछ का सेवन करें ।