Anahad naad meditation in hindi. सम्पूर्ण ब्रह्मांड नाद स्वरूप है। प्रकृति में बहुत सी ध्वनियाँ प्रवाहित होती रहती हैं। जिनमें कृष्ण की बांसुरी का स्वर, महादेव के डमरू का स्वर संचारित हो रहा है। प्राचीन आचार्यों की माने तो आकाश में स्थित अग्नि और वायु के संयोग से नाद की उत्त्पत्ति होती है।
सदियों से व्यक्त, अव्यक्त ध्वनियाँ ब्रह्मांड में प्रवाहित हैं। जिन्हें सुनने के लिए मन और आत्मा का एकाग्रचित्त होना आवश्यक है। अवकाश युक्त आकाश में प्रवाहित ध्वनियों को समझना आसान नहीं है। कहते हैं केवल योगी ही नाद सुनने में सक्षम हो सकते हैं।
नाद के प्रकार – Type of Naad –
परमात्मा नादात्मक है। उसके द्वारा निर्मित समस्त जगत् भी नाद युक्त है। नाद के दो प्रकार स्वीकार किये जाते हैं । आहत तथा अनहद नाद ।
आहत नाद ( Aahat naad in hindi. ) –
किसी भी प्रकार का स्वर नाद है। जब एक वस्तु पर दूसरी वस्तु की चोट पड़ती है तो स्वर उभरता है, यही नाद है। चूंकि यह व्यक्त स्वर है और आहत अर्थात् चोट लगने से उत्पन्न होता है, इसलिए आहत नाद कहलाता है। इसे सभी आसानी से सुन सकते हैं। जैसे कि विदित है कि इस नाद का सम्बन्ध संगीत से है परन्तु आहत नाद कर्णप्रिय अथवा सुरीला हो तभी भाव उत्पन्न करता है। बेसुरी ध्वनियाँ शोर के अतिरिक्त और कुछ नहीं होती और न ही मन को भाती हैं।
अनहद नाद ( Anahad naad in hindi ) –
अनहद अथवा अनाहत नाद मन की स्थिति है। यह वह संगीत है जो बिना किसी घर्षण अथवा चोट के उत्पन्न होती है। यह शून्य का वह स्वर है जिसे सुनने के लिए मन की एकाग्रता व ध्यान की उच्चावस्था आवश्यक है। यह ब्रह्माण्ड की संगीतक रूपरेखा है जिसे समाधि की अवस्था में ही सुना समझा जा सकता है। यह परमानन्द की खोज का संगीतमय आयाम है। योग की लीनावस्था में भीतर प्रवाहित सहज शान्त संगीत ही अनहद नाद है।
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अनहद नाद क्या है – what is Anahad naad meditation in hindi. ? –
साधना में लीन साधक जब प्रकृति से तारतम्य स्थापित कर लेता है तो आत्मा में प्रकृति का सहज संगीत जागृत हो उठता है। यह शान्त भाव की उच्चावस्था है। यह कोई लौकिक संगीत नहीं अपितु ब्रह्मांड की अथाह शक्ति में सहज प्रवाहित वह संगीत है जो सम्पूर्ण प्रकृति को अनुशासित व संचालित करता है। यह लौकिक संगीत का शिखर है। ध्यान की समाधिस्थ उपलब्धि है। योग की परमावस्था है।
अनहद नाद का अर्थ । Anahad naad meaning in hindi –
अनहद नाद का तात्पर्य – अनहद नाद शब्द को संस्कृत भाषा से लिया गया है जो कि पुल्लिंग है । शब्द अंतिम कड़ी – नाद जिनका तात्पर्य दिव्य आवाज या ध्वनि । इसी प्रकार अनहद का अर्थ – बिना किसी टकराव से उत्पन्न । यानी कि लगातार ध्यान लगाने से बिना किसी आहत किए या टकराव से उत्पन्न दिव्य आवाज को अनहद नाद कहा गया है । यह दिव्य आवाज मेडिटीशन से सुनी जाती है इसलिए Anahad naad meditation कहा गया है ।
अनहद नाद की शक्तिशाली विधि। Anahad naad Meditation vidhi in Hindi ?
अनाहत चक्र / अनहत नाद ध्यान के लिये वायु मुद्रा धारण करें । अपने हाथ की तर्जनी उंगली यानी सबसे छोटी अंगुली को अंगुठे के नीचे दबालें । ध्यान रखें कि हाथ की शेष सभी उंगलिया एकदम सीधी हो ।
ध्यान को अनहत चक्र यानी हृदय में लगाये ।
10-12 बार लंबी सांस ले सकते है ।
कुछ समय बाद आपको नीले रंग की आभा का अनुभव होने लगेगा ।
जब आप इसी तरह आगे बढते हैं तो आपको हृदय की ध्वनी सुनाई देने लगती है । जब तक की सांसे तेज न चले लेकिन धीरे धीरे हम सूक्ष्म होने लगते है ।
आखिर में यह आवाजे सुनना बंद हो जाये और साधक को सिर्फ अनहद नाद सुनाई देगा । ये नाद बिल्कुल वैसे ही हैं जैसे की ब्रह्मांड में सूर्य से निकलने वाली ओम की आवाज ।
अनहद नाद से फायदे – Benefits of Anahad naad meditation in hindi. –
अनहद नाद ( Anahad naad meditation ) एक आलौकिक घटना है। इसे सुनना भी कोई साधारण बात नहीं है। योगी के जीवन में अनहद नाद का श्रवण दुर्लभ है। इसलिए इसके सांसारिक लाभ से ज्यादा आध्यात्मिके लाभ अधिक हैं –
● नाद साधना अथवा नाद योग के अनुसार अनहद नाद मन के शुद्धिकरण में सहायक है। सीधी सी बात है, प्रकृति के समक्ष स्वयं को नगण्य कर उसी में समाहित करना अपने अहं अपने अस्तित्व को शून्य कर उस लयात्मक नाद को भीतर प्रवाहित होने देना आध्यात्मिक उन्नति का चरम है।
● यह वह ऊर्जा है जो एक साथ आनंद और अलौकिक विकास का कारण बनती है। इसे सुनने के बाद लौकिक इच्छाएँ नगण्य हो जाती हैं ।
● इससे मन व आत्मा शुद्धत्व को प्राप्त होते हैं ।
● साधक को आत्मिक ऊर्जा प्राप्त होती है ।
● प्रकृति से तारतम्य साधक को परमात्मा का सानिध्य प्रदान करता है ।
● यह जड़ता का नाश कर साधक की चेतना को जगाता है ।
● यह ज्ञान की उच्चावस्था प्रदान कर साधक में वैराग्य भाव जगाता है ।
अनहद नाद से परमात्मा की आवाज कैसे सुनें – Anahad naad se divya awaaz kaise sune.
अनहद स्वर वास्तव में किसी मन्त्र या प्रणवाक्षर की ध्वनि नहीं है। यह वह सूक्ष्म ध्वनि है जो अनित्य है, जो प्रकृति में सदा से विद्यमान है। जिसे न तो कोई बजाता है और न ही इसे हर कोई आसानी से सुन सकता है। अनहद नाद ( Anahad naad meditation ) सुनने के लिए सर्वप्रथम –
• साधक को ध्यानावस्था में एकांत स्थान पर बैठना चाहिए।
• स्थान अगर शान्त और एकांत युक्त हो तो बहुत अच्छा है।
• आँखों को बन्द रखें ।
• मन को आस पास की सभी आवाज़ों से हटा लें ।
• मस्तिष्क के सभी विचारों को निकल जाने दें ।
• विचार रहित अवस्था में मन को शून्य पर केंद्रित करें ।
• कुछ दिनों के अभ्यास से शून्य अवस्था में कुछ शब्द सुनाई देगा ।
• यह शब्द ब्रह्म अनहद नाद की प्रथमावस्था है ।
• धीरे धीरे अभ्यास से अनहद नाद के सभी स्वर साधक को उपलब्ध होने लगेंगे ।
• सभी नौ प्रकार के शब्द साधक को परमात्मा से एकीकृत करते हैं ।
अनहद नाद सुनने के लिए ध्यान पद्धति – Anahad naad meditation Technique in hindi.
किसी भी प्रकार की ध्वनि अथवा नाद को सुनना ध्यान की सर्वोत्तम उपलब्धि है। यह इस बात का प्रतीक है कि साधक को सिद्धि की प्राप्ति हो रही है। इस नाद ( Anahad naad meditation ) को सुनने के लिए साधु संत कई पद्धतियां बताते हैं।
• सुखासन में बैठें ।
• सर्वप्रथम कानों को उंगली से बंद करें ।
• आँखें बंद कर शरीर की शिथिल करें ।
• भँवरे की गुँजार का स्वर उत्पन्न करें ।
• मस्तिष्क में स्वर की कम्पन्न को शरीर में प्रवाहित होने दें ।
• स्वर को यही साधना साधक को एकाग्र करती है ।
• धीरे धीरे अभ्यास से यही स्वर भीतर से उठते महसूस होंगे ।
• यह सूक्ष्म ध्वनियाँ हैं जो गहन ध्यान से ही उपलब्ध होती हैं ।
• संतों के अनुसार साधक को ढोल, नगाड़े तथा युद्ध की भेरी जैसे स्वर भी सुनाई दे सकते हैं। जिन्हें सुन कर घबराना नहीं चाहिए ।
• ध्यान की गहनता से बांसुरी, डमरू तथा शंख के स्वर भी सुनाई देते हैं ।
• इन सब से ऊपर ॐ की उपलब्धि ही साधक को प्रकृति में लीन करती है ।
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अनहद नाद की सावधानियां – Anahad naad meditation rules in hindi. –
अनहद नाद से बहुत सारे फायदे हैं तो कुछ नुकसान भी होते है । लिहाजा हमे कुछ सावधानियां रखनी होगी । या यूं कहें कि नियमो का पालन अनिवार्य रूप से करे जैसे –
● Anahad naad meditation स्वविवेक के बजाय गुरु के सानिध्य में करें ।
● किसी बीमारी से पीड़ित या बुजुर्ग व्यक्ति अनहद नाद मेडिटेशन न करे ।
● ध्यान लगाने से शांत वातावरण का चयन करें एवं बैठने के चटाई का प्रयोग करें ।
● रीढ़ की हड्डी को सीधी रखे । जल्दी लाभ प्राप्त करने के लिए जल्दबाजी न करे । धैर्य रखें किसी प्रकार की पीड़ा होने पर एक बार विश्राम करें एवं चिकित्सा सलाह ले ।
● अनहद नाद का अभ्यास सुखासन से आरम्भ करें एवं स्टेप से स्टेप आगे बढ़े ।
● नाद ध्वनि सुनने के लिए केवल ध्वनि पर ध्यान दे । अन्य क्रियाकलापों को मस्तिष्क से बाहर निकाल दे ।
● अनहद नाद से होने वाले चमत्कार से घबराना नहीं चाहिए साधक केवल अपने अभ्यासों पर ध्यान दे ।
अंतिम शब्द –
अनहद एक सुव्यवस्थित व सुनिश्चित शब्द है। जो सम्पूर्ण प्रकृति में प्रवाहित सूक्ष्म कम्पन युक्त संगीत है। इसकी साधना साधक को इन्द्रियातीत क्षमता प्रदान करती है। यह ध्वनि उतपन्न नहीं होती बल्कि स्वयं ब्रह्मांड में प्रवाहमान रहती है।
इसे ( Anahad naad meditation ) सुनने के लिए स्थूल कानों की नहीं अपितु आत्मा को प्रकृति में लीन कर मन की सूक्ष्मावस्था को प्राप्त कर सुना जा सकता है। मनुष्य की इच्छाएं व वासनाएं उसे ध्यान की उस गहराई तक पहुंचने ही नहीं देती कि वह प्रकृति के किसी स्वर को सुन सके। चित्त की वृतियों से ऊपर उठ कर समाधि में ही अनहद नाद को सुनना सम्भव है। Dr. Priya.
Sadar naman I do also hear this melodious soung sometime I listen echoing sound of om at evening hours it really gives ecstasy.ur article is very helpful . dhanyawad
धन्यवाद
ॐ नमः शिवाय