रूमैटिक हार्ट डिजीज के लक्षण । Rheumatic heart disease in hindi

Rheumatic Heart Disease in hindi.


Rheumatic heart disease. रुमैटिक हार्ट डिसीज एक ऐसी बीमारी है जो अधिकतर स्ट्रेप थ्रोट या स्कारलेट बुखार का इलाज नहीं होने के कारण होती है। रूमैटिक हार्ट डिजीज ऐसी दशा है जिसमें हृदय की वाल्व स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त हो जाती है। यह एक इन्फ्लेमेटरी बीमारी है, जिसमें सीने व जोड़ों में दर्द, कमजोरी बुखार, हृदय का तेजी से धड़कना, रैश व गले में सूजन आदि लक्षण होते है।


25 मई 2018 को डब्ल्यूएचओ ( WHO ) के सदस्य देशों द्वारा सर्वसम्मति से जेनेवा, स्विट्जरलैंड में रुमैटिक बुखार और रूमैटिक हार्ट डिजीज पर वैश्विक रिजोल्यूशन अपनाया गया जिसके द्वारा पहली बार रूमैटिक बुखार और रूमैटिक हार्ट डिजीज को विश्व स्तर पर वैश्विक स्वास्थ्य प्राथमिकताओं के रूप में मान्यता प्रदान की गई।

Rheumatic fever एक ऐसा बुखार है जो दिल के वाल्ब को डैमेज कर सकता है । यह स्ट्रेप्टोकोकस बैक्टीरिया के कारण होता है । शुरूआती दौर में गले से संक्रमण से होता है । धीरे धीरे यह ऊतकों को प्रभावित करता है जिसे Rheumatic arthritis कहते है । लेकिन यदि इनका समय पर उपचार नहीं किया है तो स्थायी रूप से Heart disease को जन्म दे सकता है ।

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रूमेटिक हार्ट डिजीज क्या है | what is Rheumatic heart disease –


Rheumatic heart disease एक जानलेवा अवस्था है, जिसमें रूमैटिक बुखार से पीड़ित व्यक्ति के हृदय के वाॅल्व स्थायी रूप से डैमेज हो जाते हैं। यह प्रक्रिया स्ट्रेप्टोकोकल बैक्टीरिया की वजह से गले के इंफेक्शन के रूप मे शुरू होती है जिसका इलाज नहीं किया जाए तो गले का यह इंफेक्शन रुमैटिक बुखार में बदल जाता है।


बार-बार के रुमैटिक बुखार से ही रुमैटिक हृदय रोग विकसित होता है जिसके बाद हृदय के वाल्व क्षतिग्रस्त होने लगते हैं। ज्यादातर महिलाओं में तो ये प्रेग्नेंसी के दौरान जांच में ही पहली बार पता चलता है, जिससे कई बार डिलीवरी में दिक्कत आ सकती है। साथ ही नवजात शिशु को जान का खतरा भी हो सकता है। ये बीमारी पूरे विश्व में प्रत्येक वर्ष करीब 39 मिलियन लोगों को प्रभावित करती है।


आर. एच. डी. क्या है | RHD full form –


आर. एच. डी. का हिंदी अर्थ संधिशोथ है । जबकि अंग्रेजी की फुल फॉर्म Rheumatic heart disease होता है । यह बीमारी Rheumatic fever के कारण होती है । जो बैक्टीरिया के संक्रमण के कारण होती है । यह बीमारी बड़ो के मुकाबले बच्चों में ज्यादा पाई जाती है ।


बुखार, गले की खरांश, सांस लेना, असामान्य धड़कन जैसे लक्षण दिखाई देते है । Rheumatic fever का समय पर ट्रीटमेंट नहीं लेने पर यह Rheumatic heart disease के रूप में बदल जाता है क्योंकि यह ह्रदय को पूर्ण रूप से प्रभावित करता है ।

रूमैटिक हार्ट डिजीज के लक्षण – Rheumatic Heart Disease Symptoms in Hindi –


Rheumatic heart disease के लक्षण बहुत मामूली होते है जिस वजह से इस बीमारी का पता लगा पाना काफी मुश्किल होता है और इसके लक्षण जल्दी समझ मे नहीं आते है । Rheumatic Heart Disease के लक्षण इतने सामान्य होते है कि कई सालों तक रोगी में नज़र नहीं आते हैं या दिखते भी है तो रोगी इसे सर्दी जुकाम आदि मानकर इस पर ज्यादा ध्यान नहीं देते है। रूमैटिक हार्ट डिसीज के लक्षणों में निम्न लक्षण शामिल है-


● शरीर में थकान का होना ।
● सीने व जोड़ों में दर्द ।
● तेज या अनियमित धड़कन ।
● सासों की कमी ।
● अनियंत्रित शारीरिक हलचल ।
● घुटनों एवं टखनों में सूजन, लालपन के साथ अत्यधिक दर्द होना ।
● त्वचा में गांठ बन जाना ।
● कमजोरी एवं थकान ।
● स्ट्रोक आदि ।

रूमैटिक हार्ट डिजीज के कारण – Rheumatic Heart Disease Causes in Hindi –


 जानने योग्य बात है की रूमैटिक हार्ट डिजीज स्ट्रेप थ्रोट, स्कारलेट बुखार या रूमैटिक बुखार जैसी दूसरी बीमारियों के द्वारा रोगी के शरीर को पहुंचाए गए नुकसान से होने वाली बीमारी है। रुमैटिक बुखार ऐसी बीमारी है जो स्ट्रेप थ्रोट या स्कारलेट बुखार का इलाज नहीं होने के कारण होती है। बार-बार के रुमेटिक बुखार से ही रुमेटिक हृदय रोग विकसित होता है।

रुमेटिक बुखार एक इन्फ्लेमेटरी बीमारी है, जो हृदय, जोड़ों, मस्तिष्क या त्वचा को जोड़ने वाले ऊतकों को प्रभावित करती है। यदि रुमैटिक बुखार का ईलाज सही समय पर ना किया जाए तो यह बुखार हृदय की वाल्व को स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त कर सकता है, उस अवस्था को रुमेटिक हृदय रोग कहा जाता है।

रूमैटिक हार्ट डिजीज से बचाव – Prevention of Rheumatic Heart Disease in Hindi –


Rheumatic heart disease को रोकने का सबसे आसान तरीका रूमैटिक बुखार को रोकना है जिसके लिए आवश्यक है कि एंटीबॉयोटिक्स दवाइयों का सेवन किया जाए। रुमैटिक बुखार का सही समय व सही तरह से इलाज करके रूमैटिक हार्ट डिजीज से बचाव किया जा सकता है अन्यथा Rheumatic Heart Disease का पता रोगी के हृदय की वाल्व के स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त होने पर ही चलता है। इसके अलावा रोगी को हृदयाघात भी हो सकता है और गर्भवती महिलाओं में गर्भावस्था में कई तरह की जटिलताएं पैदा कर सकता है।


रूमैटिक हार्ट डिजीज का परीक्षण – Diagnosis of Rheumatic Heart Disease in Hindi –


रूमैटिक हार्ट डिजीज का परीक्षण कई तरीकों से किया जा सकता है
● खून की जांच के द्वारा-
● खून की जांच से शरीर में मौजूद संक्रमण का पता लगाया जा सकता है।
● इकोकार्डियोग्राम (इको)-
● इसमें ध्वनि तरंगों की मदद से हृदय के चैम्बर व वाल्व का परीक्षण किया जाता है। यह हृदय की वाल्व की समस्याओं को जांचने का सबसे अच्छा तरीका है।


● इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ईसीजी)-
● इस तरीके की मदद से हृदय की गतिविधियों को इलेक्ट्रिक रूप मे दर्शाया जाता है।
● चेस्ट एक्स-रे –
● चेस्ट ऐक्स रे फेफड़ों की जांच करने के लिए ईस्तेमाल होता है साथ ही हृदय के आकार मे परिवर्तन को भी दर्शाता है।
● कार्डियक एमआरआई- ये तरीका हृदय की मांसपेशियां व चैम्बर का सूक्ष्म चित्रण दर्शाने के लिए उपयोग में लाया जाता है।

Rheumatic Heart Disease treatment in hindi.

रूमैटिक हार्ट डिजीज का इलाज – Rheumatic Heart Disease Treatment in Hindi –


Rheumatic heart disease का कोई उपचार उपलब्ध नहीं है और इस बीमारी में हृदय की वाल्व को जो क्षति हो चुकी होती है वो स्थायी तौर पर होती है । रूमैटिक हार्ट डिजीज के गंभीर मरीज़ों में सर्जरी के द्वारा वाल्व को बदला या रिपेयर किया जाता है। इसके अलावा रूमैटिक हार्ट डिजीज के उपचार के लिये मुख्य रूप से रूमैटिक बुखार को रोकने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जिससे रूमैटिक हार्ट डिसीज के खतरे को शुरू होने से पहले ही रोका जा सके।

एंटीबायोटिक्स जैसे पेनिसिलिन, एरिथ्रोमाइसिन और सल्फाडियाज़ का उपयोग बुखार के संक्रमण का इलाज करने के लिए किया जाता है, यदि बुखार बहुत लंबे समय तक रहा है, तो रोगी को प्रतिदिन एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन करना चाहिए ताकि रूमैटिक बुखार फिर से वापस न आए, जिससे हृदय के वाल्व को नुकसान होने का खतरा कम हो जाता है |

Rheumatic heart disease ka ilaaj.

शुरूआती अवस्था में क्षतिग्रस्त या लीक वाल्वों को तब तक बदलने की ज़रूरत नहीं होती है। सर्जरी के द्वारा वाल्व को बदलने या रिपेयर करने की जरूरत तब होती है जब एंटीबायोटिक दवाओं और एस्पिरिन के साथ इलाज सम्भव ना हो।


रूमैटिक बुखार से पीड़ित व्यक्ति को एंटीबायोटिक का नियमित कोर्स दिया जाता है ताकि फिर से इन्फेक्शन को होने से रोका जा सके साथ ही हृदय को भी और नुकसान ना पहुचे। रूमैटिक हार्ट डिजीज के मरीज़ को लगातार अपने चिकित्सक से संपर्क में रहना चाहिए नियमित तोर पर हेल्थ चेक अप कराना चाहिए, इसके अलावा कुछ शारीरिक गतिविधियां जिनसे दिल पर असर पड़ता हो उन्हें भी चिकित्सक के परामर्श पर बंद कर देना चाहिए ।


अमावत रोग का आयुर्वेदिक उपचार । Ayurvedic approach to Hridroga –


आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के अनुसार गलत लाइफ स्टाइल और खान-पान खराब जीवनशैली नींद की कमी तनाव जैसी परेशानी दिल की बीमारी के प्रमुख कारण हैं ऐसा भोजन जो शरीर में कफ की वृद्धि करें उसे नहीं खाना चाहिए इसमें डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ फास्ट फूड शामिल है डॉक्टरों के अनुसार दिल की बीमारी के बढ़ने के मामलों की छानबीन से यह तथ्य सामने आया है कि आधे से अधिक दिल के रोग मानसिक तनाव अवसाद चिंता आदि की वजह से हो रहे हैं |


चिंता मुक्त और प्रसन्न चित्त रहकर अधिकतर व्यक्ति ह्रदय रोगों से बच सकते हैं दिल की बीमारी से बचने के लिए शरीर में कफ बढ़ाने वाले भोजन से परहेज करना चाहिए विशेषकर शीत ऋतु में भोजन के साथ अदरक, लहसुन, कालीमिर्च, पीपल, तेजपत्ता, सेंधा नमक का उपयोग करना चाहिए । डॉक्टरों के अनुसार आयुर्वेदिक औषधियों में अर्जुन 10 मूल आंवला, हरड़, भृंगराज, यष्टिमधु, गूगल, शिलाजीत, पिपली, अजवाइन, लोंग, इलाइची, चंदन, पुष्पा, अभ्रक, भस्म, मुक्ता, पिष्टी, प्रवाल, पिष्टी, पुनर्नवा आदि दबाएं डॉक्टर की सलाह अनुसार ले |

दवा के कोई साइड इफेक्ट है ?

आयुर्वेदिक दवा के साइड इफेक्ट संभवतः नहीं होते हैं लेकिन एलोपैथिक दवा के साइड इफेक्ट हो सकते हैं कभी-कभी कुछ लोगों को पेनिसिलिन के साइड इफेक्ट हुए हैं इसमें जी मत लाना उल्टी क्या पेट खराब होना आदि हैं एस्पिरिन के लंबे समय तक उपयोग से अल्सर पेट में ऐठन सीने में दर्द और बुखार सांस लेने में दिक्कत रक्त के थक्के संक्रमण जैसे साइड इफेक्ट हो सकते हैं अतः डॉक्टर के देखरेख में ही अपना इलाज करवाएं

रूमैटिक हार्ट डिजीज से बचाव के हर्बल उपाए । Herbal remedies for Rheumatic heart disease –


▪︎ फल और सब्जियों का भरपूर आहार लें ।
▪︎ मधुमेह को नियंत्रण में रखे ।
▪︎ नियमित व्यायाम करें ।
▪︎ अंगूर का रस हृदय रोग में अत्यंत फायदेमंद है ।
▪︎ रोज़ एक आंवले का सेवन करें ।
▪︎ धूम्रपान और शराब के सेवन से दूर रहे ।
▪︎ वजन को नियंत्रित रखे ।
▪︎ अदरक एवं स्ट्रॉबेरी का सेवन करे ।
▪︎ गरम भोजन खाए ।


मित्रो उम्मीद करते है Rheumatic heart disease के बारे में आज की जानकारी उपयोगी साबित हुई होगी । हमारा उद्देश्य केवल स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना है । शिक्षा देना है । सटीक जानकारी उपलब्ध कराने का प्रयास करते है फिर भी डॉक्टरी सलाह लेना अनिवार्य समझे ।। अर्चना पराशर ।।

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