किंडनी खराब होने के शुरुआती लक्षण | kidney disease symptoms.

Kidney-disease


kidney disease. मानव शरीर अनेक भागों से मिलकर बना है। जिनमें से किडनी भी एक बहुत महत्वपूर्ण अंग है। गुर्दे हमारे शरीर के रक्त को शुद्ध करता है। ज़ाहिर सी बात है जो अंग हमारे शरीर के रक्त को शुद्ध करता है वह हमारे शरीर के लिए कितना महत्वपूर्ण है यह तो आप सभी ने अंदाज़ा लगा ही लिया होगा। आज हम जो जीवन जी रहे हैं उसमें शारिरिक काम कम और आराम तलबी ज़्यादा है इसीलिए हमारा शरीर हमारा साथ कम देता है और घिर जाता है अनेक बीमारियों से । इन बीमारियों से भारत में हर आठवीं मौत का कारण किडनी खराब (kidney disease ) होने के कारण होती है ।

कुछ लोग सारा दिन बैठकर काम करते हैं इससे उन्हें पसीना बिल्कुल भी नहीं आता। वह चाय या कॉफी तो पी लेते हैं परन्तु यह भूल जाते हैं कि उन्हें पानी भी पीना बेहद ज़रूरी है। यदि शरीर में पानी की कमी हो गई तो शरीर अनेको बीमारियों से घिर जाता है। Kidney disease भी उनसे से एक हैं । पानी की कमी के कारण किडनी में पत्थर होने का खतरा बढ़ जायेगा। समय पर पेशाब करना और किडनी को साफ रखना गुर्दे की किसी भी तरह की बीमारी ( kidney disease ) को आने से रोकता है।

गुर्दे की एक ऐसी प्रॉब्लम ( Kidney disease ) है जिसे किलर प्रॉब्लम भी कहते है । क्योंकि इनके शुरुआती लक्षणों को पहचान करना काफी मुश्किल है । कही बार मरीज़ उसे नजर अंदाज भी देता है लेकिन धीरे धीरे विकराल रूप धारण लेता है । इसलिए शुरुआती लक्षणों को पहचान कर बचा जा सकता है । पानी अधिक से अधिक पीना चाहिए इससे किडनी में यदि किसी भी प्रकार का कोई infection होगा तुरन्त मूत्र मार्ग से निकल जायेगा। जान है तो जहान है हम सबको यह बात समझनी होगी । तो चलिए Global health tricks में जानते है किडनी खराब होने के शुरुआती लक्षण | symptoms of kidney disease in hindi

What is kidney ? गुर्दे क्या है –

गुर्दे को किडनी या वृक्क भी कहते हैं। यह युग्मिक अंग यानि की जोड़े में मनुष्य व बहुत से वर्टिब्रेट पशुओं में मिलते है। यह मुख्य रूप से मूत्र प्रणाली का महत्वपूर्ण अंग है। यह शरीर में रक्त शोधन का कार्य करते हैं।
मानव शरीर में गुर्दे उदर गुहा में रेटरोपेरिटोनियम RETROPERITONEUM नामक एक खाली जगह पर स्थिति होते हैं। जैसा कि मैने बताया है कि यह जोड़े में दो होते हैं, इनमे से एक गुर्दा मेरूदंड के एक तरफ व दूसरा दूसरी तरफ स्थित होता है। गुर्दे उदर गुहा में रेट्रोपेरिटोनियम (retroperitoneum) नामक रिक्त स्थान में स्थित होते हैं। इनकी संख्या दो होती है। पहले बात करते है बायें गुर्दे की।

बायां गुर्दा मध्यपट के नीचे और प्लीहा सामान्य भाषा में इसे तिल्ली भी कहते हैं, के पीछे होता है जबकि दायां गुर्दा मध्यपट के एकदम नीचे की ओर होता है। यकृत यानि की लीवर, पित्त की थैली के पीछे स्थित होता है। एक व्यस्क मनुष्य में यानि कि एक युवा पुरूष में गुर्दे का भार लगभग 125 से 170 के बीच होता है और महिला में 115 से 155 के बीच। बायां गुर्दा दायं गुर्दे से थोड़ा सा बड़ा होता है।

गुर्दे के कार्य
अब हम बात करते हैं कि गुर्दे के क्या कार्य है ?

● सबसे पहला कार्य तो रक्त को शुद्ध करना है।
● गुर्दा शरीर में जल की मात्रा को नियंत्रित करके रखता है।
● अपशिष्ट उत्पादों को बाहर निकालता है।
● अम्ल व क्षार का संतुलन बनाए रखता है।
● खून के दबाव पर पूर्ण रूप से नियंत्रण रखता है।
● हड्डियों में मज़बूती पैदा करता है।
बहुत महत्वपूर्ण काम…रक्त में उपस्थित लाल रक्तकणों का उत्पादन करता है जो एरएरिथ्रोपोएटीन की सहायता से अस्थिमज्जा Bone marrow में होता है।

What is kidney disease ? गुर्दे की बीमारी क्या है

एक आंकड़े के मुताबिक लगभग हर तीसरा इंसान गुर्दो की बीमारी ( Kidney disease ) से ग्रस्त है । इस बीमारी के होने का सबसे बड़ा कारण हमारी जीवन शैली एवं खानपान है । इसके अतिरिक्त हमारा अपने शरीर को अधिक आराम देना, निरन्तर बैठे रहना और पानी का कम सेवन करना। चलिए जानते हैं कि गुर्दे की कौन कौन सी बीमारियाँ हो सकती हैं –

जब गुर्दो में किसी भी प्रकार का संक्रमण हो जाता है तब यह भयंकर पीड़ा व दर्द मैं बदल जाता है। यह दर्द असहनीय होता है। सामान्य शब्दों में हम इसे इस तरह समझते हैं कि जब बैक्टीरिया किसी व्यक्ति के मूत्राशय से एक या फिर दोनो गुर्दो में प्रवेश कर जाते हैं तब गुर्दे में infection हो जाता है जो नज़रअंदाज़ करने की स्थिति में खतरनाक साबित हो सकता है। यह आजकल बहुत आम बीमारी होती जा रही है। इसमें सबसे अधिक प्रभाव पेशाब करने की प्रक्रिया पर पड़ता है यानि कि पेशाब आने में कठिनाई होना या दर्द के साथ पेशाब आना यह इसके विशेष लक्षणों में शामिल हो सकते हैं।

किडनी की बीमारी ( kidney disease ) सबसे अधिक किसे प्रभावित करती है ?

Kidney disease का सबसे अधिक बच्चों व महिलाओं में गुर्दे का संक्रमण होता है। पेशाब के रास्ते का संक्रमण ( UTI ) जैसे सिस्टिटिस का खतरा होता है। महिलाओं में मूत्रमार्ग गुदा के करीब होता है जिससे गुदा से बैक्टीरिया का गलती से महिलाओं के मूत्रमार्ग में प्रवेश करना सरल हो जाता है। कब्ज अधिक होने की स्थिति में भी यह रोग पनप सकता है।

एक अन्य खतरनाक स्थिति किडनी में स्टोन का आ जाना। आजकल के बदलने परिवेश के कारण 10 मे से 7 लोग ऐसे होगें जिन्हें स्टोन की शिकायत होगी। जब ये स्टोन हमारे मूत्रमार्ग के रास्ते में आ जाते हैं तो पेशाब नहीं आ पाता और दर्द काफी होता है। कभी कभी ऐसा भी होता है कि व्यक्ति को खुलकर पेशाब नहीं आ पाता जिससे बैक्टीरिया मूत्रमार्ग व मूत्राशय नली को प्रभावित कर अंदरूनी तौर पर बैक्टीरियाँ को जन्म दे देते हैं और infection का खतरा बढ़ जाता है।

मधुमेह की टाइप 2 की स्टेज में किए जाने वाले इलाज के दुष्प्रभाव भी गुर्दे को प्रभावित करते है। इसके अतिरिक्त संभोग प्रक्रिया में भी महिला में बैक्टीरिया आसानी से प्रवेश कर जाता है। गुदा सैक्स के कारण बैक्टीरिया मूत्राशय में मूत्रमार्ग में जा सकते हैं। गर्भवती महिलाओं की शारीरिक संरचना में बदलाव आने के कारण भी मूत्र के प्रवाह को हल्का कर देता है। जिससे बैक्टीरिया गुर्दे में सरलता से प्रवेश कर सकता है।

symptoms of kidney disease. गुर्दे खराब होने के लक्षण –

हम घर में रहकर भी गुर्दे की बीमारी ( Kidney disease ) का काफी हद तक पता लगा सकते हैं क्योंकिं हमारे शरीर में कुछ ऐसे symtoms पैदा होते हैं जो इस बीमारी के शुरुआती लक्षणों को जानने में हमारी सहायता करते हैं –

● Kidney disease सबसे पहला लक्षण तो इसका यही है कि हमारे चेहरे, पेट व पैरों पर सूजन का आ जाना।
● भूख नहीं लगना।
● मुँह का स्वाद बदल जाना।
● बार बार उल्टी करने का मन करना
● शरीर में अचानक कमज़ोरी का बढ़ जाना ।

● High blood pressure / उच्च रक्तचाप हो जाना।
● अचानक शरीर में खून की कमी का होना।
● इसके अतिरिक्त कुछ महत्वपूर्ण लक्षण ऐसे भी हैं जिनकी मदद से आप किडनी की बीमारी का पता लगा सकते हैं
● व्यक्ति की बगल में/ साइड के हिस्से में दर्द हो जाना ।

● व्यक्ति की कमर के पिछले हिस्से में नीचे की ओर अचानक दर्द का होना।
● जननांगों के आसपास दर्द होना और अजीब सा महसूस होना। यानि बे-आरामी भी कहा जा सकता है।
● बुखार का तेज़ हो जाना । अर्थात 39.5 डिग्री सेल्सियस या 103.1ºF तक पहुंच जाना।
● शरीर व हाथो, पैरों में कंपकंपी का होना।
● अत्यधिक ठंड का लगना, ठीक से चल नहीं पा सकना।

बच्चों में किडनी बीमारी के लक्षण – Kidney disease in kids

अब जानते हैं कि अगर बच्चों में ( Kidney disease ) बीमारी पनप जाए तो क्या लक्षण हो सकते हैं । चलिए जानते है –
● बच्चों में गुस्सा बढ़ जाना।
● कोई काम करने का मन नहीं करना।
● सुस्ती छाई रहना।

● भोजन ना करना या अपनी मनपसंद खाद्य सामग्री को भी इंकार कर देना।
● उल्टी जैसा लगते रहना या फिर उल्टी ही कर देना।
● पेट में दर्द का होना।
● पेशाब में खून आ जाना ।

● पीलिया हो जाना, आँखे व चेहरे का रंग पीला हो जाना । मूत्र भी पीला हो जाता है।
● पेशाब की गंध का रूप बदल लेना यानि कि अजीब सी गंध का आभास होना।
● बिस्तर पर मूत्र कर देना।

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गुर्दे स्वस्थ रखने के उपाय / टिप्स – healthy kidney tips in hindi –

स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का वास होता है इस बात को ध्यान में रखते हुए हम सभी को अपने शरीर का पूरा ध्यान रखना चाहिऐ। Kidney disease से बचने एवं किडनी को मजबूत रखने के लिए कुछ सावधानियां बरतने की आवश्यकता है तो चलिए जानते है – Kidney disease tips in hindi –

मूत्र जाँच – सबसे पहले मूत्र की जाँच की जाती है । मरीज से एक छोटी शीशी में मूत्र एकत्र करने को कहा जाता है। फिर वह शीशी लैबोरेटरी में भेजी जाती हैं। वहाँ उसमें रखे मूत्र को जाँचकर यह पता लगाया जाता है कि मूत्र पथ संक्रमण (यूटीआई/ UTI) है या नहीं। इससे पता चल जाता है कि बैक्टीरिया का प्रवेश हुआ या नहीं हुआ।

इससे यह पता नहीं लग सकता कि संक्रमण आपके गुर्दे में है या मूत्रमार्ग के किसी और हिस्से में। आपका डाक्टर इस बात से अंदाज़ा लगा लेता है कि आपको गुर्दे का संक्रमण है यदि आपकी बगल में दर्द हो रहा हो या फिर आपको बुखार काफी तेज़ हो।

समय पर टायलेट जाएं – जब भी पेशाब आए तुरन्त व्यक्ति को मूत्र त्यागने के लिए जाना चाहिए। मूत्र को अधिक देर तक रोकने से भी किडनी पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है।

धोने का सही तरीका – जब भी मल त्यागे तब धोने के लिए हाथ पीछे से आगे नहीं लाएं बल्कि आगे से पीछे की ओर लेकर जाएं, इससे संक्रमण का खतरा नहीं होगा और बैक्टीरिया आगे आने से पूर्व ही पानी से पीछे के पीछे बह जायेगें।

जननांगों को धोते रहें – जब भी सैक्स करें तुरन्त बाद पेशाब करना चाहिए और अपने जननांगों को धोना चाहिए। इससे कोई भी बैक्टीरिया प्रवेश नहीं कर पायेगा।
कब्ज से बचे – जहाँ तक हो सके कब्ज से दूर रहें। हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करें। फल आदि अधिक से अधिक मात्रा में खाएं और पानी अधिक पीएं।

घर में रहकर इलाज – आपको यह तो पता ही चल चुका है कि जिनके गुर्दे में परेशानी होती हैं उन्हें तेज़ बुखार, पेट दर्द, जननांगों में दर्द आदि symptoms देखने को मिल ही जाते हैं। ऐसे संक्रमित व्यक्तियों का ईलाज एंटीबायोटिक दवाओं से घर पर रहकर ही किया जा सकता है। डाक्टर से पूर्ण रूप से चैक-अप व समय समय पर रूटीन चैक-अप काफी हद तक मरीजों को सही करने में सफल हो पाते हैं। बुखार होने पर या दर्द नाशक के रूप में बहुत प्रसिद्ध दवा PCM (paracetamol) काफी अच्छी दवा मानी जाती है।

तरल पदार्थों का सेवन – तरल पदार्थ आपके शरीर से अपशिष्ट को हटाने में काफी मददगार साबित होते हैं तथा मूत्र पथ से बैक्टीरिया को निकालने/ समाप्त करने में सहायता करते हैं। दैनिक गतिविधियों में बदलाव करके नियमित रूप से योग , व्यायाम एवं सतुलित आहार से सामान्य जीवन जिया जा सकता है । यह हमारा शरीर है इसे हम जितना स्वस्थ रखेगें यह उतना ही हमारा साथ देगा।

 FAQ
  • किडनी खराब होने से पहले क्या संकेत देती है ? ( signs of kidney failure )
    जबाबकिडनी खराब होने के कुछ संकेत मरीज़ को पहले से मिल जाते है । डॉक्टरो के मुताबिक पीठ में दर्द, यूरिन की मात्रा का असन्तुलन, पेशाब में कभी खून आना, बार बार पेशाब आना, जलन या दर्द होना, ब्लडप्रेशर का संतुलन, शरीर के तरफ दर्द, थकान एवं हाथ पैरों में सूजन आना आदि ।
  • किडनी डैमेज कैसे होती है ? ( kidney failure symptoms )
    जबाब – किडनी हमारे शरीर का महत्वपूर्ण हिस्सा है जो विषायुक्त पदार्थों को यूरिन के माध्यम से बाहर भेजती है । लेकिन जब ये फिल्टर करने में असमर्थ हो जाती है तो शरीर विषायुक्त पदार्थों से भर जाता है । जिसे किडनी डैमेज हो जाती है ।
  • किडनी खराब होने की क्या पहचान है ?
    जबाब – डॉक्टरों के अनुसार सूजन आना, पेशाब में प्रोटीन की मात्रा आना, खून में ग्लूकोज की मात्रा कम होना एवं खून का दबाव बढ़ता मुख्य है ।
  • किडनी का दर्द कहाँ होता है ?
    जबाब – किडनी खराब होने का दर्द बॉडी पैन, कमर के पास पीठ दर्द आदि । बच्चों में विकास की कमी एवं पैरो की हड्डियों का झुकाव आदि मुख्य है ।
  • क्या खाने से किडनी खराब होती है ?
    जबाब – हमारी बदलती जीवनशैली एवं खान पान ही मुख्य कारण है लेकिन किडनी की बात करे एक्सपर्ट का कहना है कि अधिक नमक का सेवन करने से किडनी खराब होने के चांसेस ज्यादा होते है । क्योंकि नमक का सेवन करने किडनी फिल्टर करने में असमर्थ हो जाती है ।
  • किडनी मजबूत करने के लिए क्या खाना चाहिए ?
    जबाब – किडनी को मजबूत करने के लिए हेल्थी खानपान एवं योग व्यायाम करना चाहिए । साथ ही साथ लहसुन, जामुन, लाल अंगूर, सोडियम एवं पोटेशियम का सेवन उचित मात्रा में करें ।
  • किडनी के लिए कौन सा टेस्ट होता है ?
    जबाब – किडनी का टेस्ट के रूप में किडनी फ़ंक्शन टेस्ट यानी KFT है । जो किडनी की असल स्थिति के बारे में जानने के लिए कारगर जाँच है । इसके प्रोटीन, यूरिन का स्तर भी देखा जाता है ।
  • किडनी में इन्फेक्शन कैसे होता है ?
    जबाब – किंडनी इंफेक्शन हमारी गलत आदते एवं खानपान के कारण होता है । इसके अलावा बार बार यूरिन इंफेक्शन भी एक कारण हो सकता है । किडनी इंफेक्शन एक UTI का मुख्य हिस्सा होता है । इसके अलावा यदि आप किसी प्रकार की Health प्रॉब्लम से जूझ रहे है । या किडनी के शुरुआती लक्षण symptoms of kidney disease नजर आ रहे है तो तुरंत डॉक्टर से सम्पर्क करें ।। शाहाना परवीन ।।

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