लिवर के कारण, लक्षण एवं बचाव । liver disease symptoms

 

liver disease symptoms in hindi.

Liver disease. हमारी बदलती जीवनशैली के कारण अनेको बीमारियों पनपने लगी है । उन गम्भीर बीमारियों में से लिवर रोग भी एक है । लिवर हमारे शरीर का दूसरा सबसे बड़ा अंग है । जो पाचनक्रिया के लिए रसायन बनाता है । लेकिन बदलती लाइफ स्टाइल के कारण ठीक से ध्यान न देने के कारण ठीक से काम नहीं कर पाता है और लीवर बीमार हो जाता है ।

शोध के अनुसार लिवर की बीमारी के कारणों में 30% बीमारी गलत आदत एवं रहन सहन के कारण होती है जबकि 70% हैपेटाइटिस B व C के कारण होती है । भारत में सबसे बड़ा कारण हेपेटाइटिस सी है । लेकिन समय इलाज एवं दिनचर्या में बदलाव स्वस्थ जीवन दिया जा सकता है तो चलिए Global health tricks में जानते है – लिवर खराब होने के कारण, लक्षण एवं बचाव  –

लिवर क्या है ? What is liver. –

लिवर हमारे सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक अंग है, जिसे हिन्दी में यकृत कहते हैं। यह केवल कशेरुकी प्राणियों में पाया जाता है। यह मनुष्य के पेट के दाहिने ऊपरी हिस्से में डायाफ्राम के नीचे रहता है, और मानव शरीर की यह सबसे बड़ी ग्रंथि है इसका वजन 1.3 किलोग्राम से 1.6 किलोग्राम तक होता है ।

त्वचा के बाद ये शरीर का सबसे बड़ा अंग है । यकृत की कोशिकाएं यूँ तो सूक्ष्मदर्शी से ही देखी जा सकती है परंतु यह कार्य बहुत करती है। यकृत, जिगर या लिवर शरीर से हानिकारक पदार्थों को छोटे बाय प्रोडक्ट में तोड़कर हटा देता है। यह पाचन के लिए आवश्यक जैव रसायन बनाता है और यह मानव शरीर में तीन सौ से ज्यादा कार्य करता है ।

लिवर खराब होने के सामान्य कारण | cause of liver disease.

जरा सोचिए इतना आवश्यक अंग यदि खराब हो जाए तो क्या होगा ? लिवर खराब होने की समस्या प्राणघातक भी हो सकती है परंतु समय रहते यदि इसके लक्षणों को पहचान कर इलाज शुरू कर दिया जाए तो इसे खराब होने से बचाया जा सकता है। आइए देखते हैं ये किन कारणों से खराब होता है –

● अत्यधिक शराब का सेवन ।
● जरूरत से ज़्यादा वज़न बढ़ना ।
● डायबिटीज़ ।
● अनियमित लाइफ स्टाइल । ये तो सच है कि कई मर्तबा हम स्वयं ही अपनी जीवन – चर्या से इसे जाने – अनजाने आमंत्रण दे देते हैं। कुछ लक्षण ऐसे हैं जिन पर पैनी नज़र रखकर हम इस रोग का समय रहते इलाज कर सकते हैं।

लिवर रोग के प्रकार | Type of liver disease.

लिवर रोग ( Liver disease ) कई तरह के होते हैं आइए देखते हैं उनके मुख्य प्रकार-

  1. लिवर सिरोसिस ( Liver cirrhohis ) – जब लिवर में कोशिकाएं समाप्त हो जाती हैं और ऊनके साथ में फाइबर कोशिकाएँ ऊत्पन्न हो जातीं हैं तो ऐसी स्थिति को लिवर सिरोसिस कहा जाता है इसका उपाय केवल लिवर ट्रांसप्लांट ही है।
  2. फैटी लिवर ( Fatty liver ) – आज दुनिया भर के करीब 28 प्रतिशत लोग इससे प्रभावित हैं।यह वह स्थिति है जब लिवर पर वसा या फैट के टिशु एकत्रित हो जाते हैं।
  3. लिवर में सूजन आना – आजकल की जीवन शैली में बदलाव एवं खानपान की आदतों के चलते लिवर में सूजन के मामलों में वृद्धि हो रही है। इसके चलते पेट संबंधित समस्याएँ उत्पन्न होने लगती हैं और पेट साफ करने के लिए दवाइयों का इस्तेमाल करना पड़ता है। अन्य कारणों के अलावा जंक फूड एवं चिकनाई युक्त भोजन इसका प्रमुख कारण है।
  4. पीलिया – लिवर की समस्या की सबसे प्रचलित बीमारी यही है।ज्यादातर यह बच्चों में पाई जाती है, इसमें आंखों का रंग पीला हो जाता है इलाज न मिलने से यह जीवन के लिए घातक भी हो सकता है।
  5. लिवर खराब होना – लिवर की सबसे सामान्य बीमारी यही है इसमें लिवर ठीक ढंग से कार्य नहीं कर पाता है, सामान्य तौर पर यह समस्या शराब अधिक पीने वालों में ज्यादातर देखने में आती है।
  6. हेपेटाइटिस – लिवर का यह रोग हेपेटाइटिस वायरस के कारण होता है, समय रहते अगर इसका उपचार न किया जाए तो यह घातक रूप ले लेता है।
  7. लिवर कैंसर – लिवर कैंसर कई तरह के होते हैं, लिवर में कैंसर के टिशु बनने के कारण यह रोग होता है। इनमें सबसे आम है हेपेटोसेलुलर कार्सिनोमा ( Hepatocellular carcinoma )। इसकी शुरुआत मुख्य प्रकार के सेल ( हेपेटोकोलेट ) में होती है। उक्त प्रकार के लिवर के रोग आमतौर पर ज्यादा देखने में आते हैं।
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लिवर ख़राब होने के लक्षण | liver disease symptoms in hindi.

पेट में दर्द होना – वैसे पेट में दर्द कई कारणों से होता है, परंतु पसलियों के निचले भाग यानी पेट के ऊपरी भाग में पेट दर्द हो तो यह लिवर खराब होने का प्रमुख लक्षण हो सकता है।

पेट पर सूजन आ जाना – कई बार पेट का बाहर की तरफ निकल आना भी इसका एक लक्षण हो सकता है। क्योंकि इसमें पेट मे सूजन से वह बाहर निकलने लगता है अंर उसमें फ्लूड जमा हो जाता है।

वज़न में कमी होना – थोड़ी वजन में कमी सामान्य बात होती है परंतु वजन में लगातार गिरावट इसका संकेत हो सकती है।

अपच – अपच की समस्या कई कारणों से हो सकती है,परंतु ये बार-बार उत्पन्न हो रही हो तो इसे हलके में नहीं लेना चाहिए। इसमें जी मिचलाना और एसिडिटी की समस्या भी बनी रहती है।

कब्ज़ की शिकायत और मल मूत्र के रंग में परिवर्तन- कब्ज़ की शिकायत बनी रहे और साथ ही साथ ही साथ मल का रंग काला और मूत्र का गहरा पीला हो जाए तो तुरंत लिवर की जांच आवश्यक है।

चक्कर आना – यूं तो चक्कर कई कारणों से आ सकते हैं परंतु यदि बार-बार चक्कर आएं और मांसपेशियां कमजोर होना यकृत की बीमारी का संकेत हो सकता है।

थकान आना – थकान आने के कई कारण हैं परंतु थकान का बने रहना भी इस बीमारी का एक संकेत हो सकता है।

शरीर के अन्य भागों में सूजन आना – इससे शरीर के अन्य भागों में सूजन आने लगती है और पैरों, तलुवे और टखनों में तरल जमा होने लगता है और इनमें भी सूजन आ जाती है और दबाने से वह स्थान दबा ही रह जाता है। ऐसे में हमें सावधान हो जाना चिहिए क्योंकि यह यकृत की बीमारी की गंभीरता का सूचक हो सकता है।

पीलिया होना – कई बार पीलिया होना या कभी त्वचा का सफेद हो जाना भी यकृत की बीमारी संकेत हो सकते हैं।

लिवर के बचाव –

उपरोक्त लक्षण शरीर में दिखाई देने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें ताकि समय रहते आसानी से इस रोग का इलाज किया जा सके। हमारी दिनचर्या मैं कुछ बातों की सावधानी रखकर हम इस रोग से अपना बचाव कर सकते हैं-

• भोजन में नमक की मात्रा कम से कम होनी चाहिए।
• भोजन में हरी पत्तेदार सब्जियां शामिल होनी चाहिए।

• नियमित व्यायाम और स्वस्थ जीवन शैली को अपनाकर इस रोग से बचा जा सकता है।
• सिगरेट और शराब की लत से दूर रहना बहुत आवश्यक है।

• भोजन में मीठा कम से कम शामिल हो।
• पर्याप्त और गहरी नींद भी इस रोग से बचाव का एक उपाय है।

बचाव के यह सभी ऐसे काम उपाय हैं रोना केवल इस रोग से अन्य कई रोगों से शरीर को स्वस्थ रखता है, इसीलिए आवश्यक है कि इन सभी उपायों को हम अपनी दिनचर्या में शामिल करें।

Home remedies of liver disease – इस रोग से बचाव के कुछ घरेलू उपाय भी हैं जो आसान भी हैं और कारगर भी। आइए देखते हैं क्या है वे उपाय-

हल्दी का प्रयोग – सामान्य तौर पर लोगों द्वारा यह कहा जाता है कि हल्दी का प्रयोग पीलिया में नहीं करना चाहिए परंतु हल्दी में हमारे शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने का गुण है इस तरह से ये हमारे शरीर की अच्छे से सफाई करती है।

सेब का सिरका – खाने से पूर्व इसका सेवन करना बहुत ही फायदेमंद है।
प्रोटीन का प्रयोग – भोजन में दालें और पनीर तथा लो फैट मिल्क का प्रयोग शरीर को स्वस्थ रखने में सहायक होते हैं।

आंवला – यह बहुत अच्छा एंटी ऑक्सीडेंट है।
आखरोट – अखरोट में ओमेगा-3 भरपूर मात्रा में होता है। इसके अतिरिक्त भी प्रोटीन विटामिन और एंटीऑक्सीडेंट के सभी घरेलू स्रोतों को भोजन में शामिल कर स्वस्थ जीवन चर्या अपनाकर समय रहते हम इस रोग से अपना बचाव आसानी से कर सकते हैं। तो आशा करते आज टॉपिक लिवर के कारण लक्षण एवं बचाव liver disease symptoms आपको जरूर अच्छा लगा होगा । आप अपने विचार हमारे कमेंट बॉक्स में लिखे ।। रश्मि स्थापक, इंदौर ।।

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