जुड़वा बच्चे लड़का लड़का होने के लक्षण व ट्विन्स प्रेगनेंसी टाइम

जुड़वा बच्चे लड़का लड़का होने के लक्षण । विवाह उपरांत स्त्री तभी संपूर्ण स्त्री कहलाती है । जब वह मां बनती है अर्थात अपने पेट में एक शिशु को पनाह देती है। स्त्री में यह अवस्था बहुत ही कष्टदायक और आनंददायक होता है क्योंकि उसकी इस अवस्था से उसमें मामा तो जागती है अपने बच्चे के प्रति। गर्भ ठहरने के उपरांत मिचली आना, अरुचि पैदा करना, यह सब समस्याएं उत्पन्न होती है। इस अवस्था के दौरान परिवार के लोग महिलाओं को पूरी तरह मानसिक रूप से प्रोत्साहित करते रहते हैं ताकि उनका मिजाज खुश रहे अर्थात वह खुश रहेंगी तभी उनके बच्चे स्वस्थ और खुश रहेंगे।

ऐसा माना जाता है की जब स्त्रियां गर्भवती होती है वह जैसा अनुभव करती है उसी तरह उसके बच्चे के स्वभाव होते हैं। कई बार गर्भावस्था के दौरान स्त्री के पेट में 1 से 2 शिशु एक साथ पल रहे होते हैं जिसे जुड़वा बच्चे कहते हैं इन बच्चों के प्रसव में कई तरह की परेशानियां होती है आइए हम उन्हीं प्रक्रियाओं के बारे में समझे । judwa bacche hone ke lakshan –

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जुड़वा बच्चे किस कारण होते हैं –

जुड़वा बच्चे लड़का लड़का होने के बहुत सारे कारण होते हैं। इसका मुख्य कारण अनुवांशिकता यानी जेनेटिक्स होते हैं अर्थात परिवार में पहले भी किसी महिला को 2 बच्चे हुए हो। अक्सर ऐसे परिवार में जुड़वा बच्चे किसी भी स्त्री को सामान्यता हो सकती है अक्सर देखा जाता है कि सामान्य से ज्यादा डाइट और वेट वाली महिलाओं को यह संभावना ज्यादा रहती है, अर्थात वह इसके कारण भी अपने पेट में जुड़वा बच्चे को विकसित करती हैं।

  • जुड़वा बच्चे होने के चांस उन महिलाओं में अधिक होता है जो अंडा से से एक से अधिक अंडे निकलते और उन्हें शुक्राणुओं द्वारा निषेचित किया जाता है।
  • महिला और पुरुष के सेक्स के दौरान एक से अधिक स्पर्म द्वारा अंडा निषेचित होता है इसका भी यह कारण हो सकता है।
  • ऐसे बच्चे दोनों एक समान दिखते हैं जिसका कारण एक ही शुक्राणु से निषेचित होना होता है और बाद में विभाजित होकर अलग-अलग गुरुओं का रूप लेता है इन्हें मोनोजायगोटिक भी कहा जाता है।
  • महिला की शारीरिक बनावट पर भी यह निर्भर करता है कि वह 2 बच्चे को जन्म देने का कारण है क्योंकि महिला की ऊंचाई और वजन ज्यादा हो तो उसमें दो बच्चे की संभावना अधिक रहती है।
  • उम्र का अधिक होना यानी वे महिलाएं जो 35 साल के बाद गर्भवती होती हैं, तो उम्र बढ़ने के कारण उनमें follicle-stimulating हार्मोन के निर्माण में कमी आती है, जो ओव्यूलेशन के लिए ज्यादा अंडे विकसित करने की प्रक्रिया में अहम भूमिका निभाती है । तब अंडों की निकलने की संख्या में वृद्धि होती है ।
  • जो माताए गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन करने से चांस अधिक होता है, क्योंकि बंद करने के बाद यह अलग-अलग हार्मोन में बदलाव होने लगता है।
  • उन महिलाओं में twice baby होने के चांस ज्यादा होती है जो पहले भी मां बन चुकी हैं।

जुड़वा बच्चे लड़का लड़का होने के लक्षण –

स्त्री जब गर्भवती होती हैं, तो उन्हें यह एहसास बहुत ही सुखद होता है जब वह अपने पेट में बच्चे की उपस्थिति को महसूस करती है, तो उन्हें खुशी का ठिकाना नहीं रहता जब दो बच्चे हो जो की मेडिकल प्रक्रिया द्वारा ज्ञात होता है, तो उन्हें दुगुनी ख़ुशी हो जाती है। यह थोड़ा कठिन तो होता है लेकिन डॉक्टर के सलाह से यह सब संभव हो जाता है।

गर्भवती स्त्री को यह अनुभव हो जाता है कि उसके पेट में दो बच्चे का विकास हो रहा है बहुत सारे ऐसे लक्षण हो जाते हैं जो उन्हें यह अनुभव देता है। कुछ ऐसे बिंदु हैं जो स्त्री में दो बच्चे के लक्षण को वह खुद महसूस करती हैं आइए उन कुछ बिंदुओं पर विस्तार पूर्वक जाने।

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एचसीजी लेवल का बढ़ाना – जुड़वा बच्चे लड़का लड़का होने के लक्षण –

जब स्त्री गर्भवती होती हैं उस दौरान उनमें एचसीजी का लेवल बढ़ जाता है यह लेवल का अधिक होना यह बताता है, कि उस स्त्री के पेट में लड़का लड़का पल रहा है अर्थात वह जुड़वा बच्चे को अपने पेट में विकसित कर रही हैं।

वैसे तो स्त्री जब गर्भवती होती है तो उसमें उल्टी और मतली की समस्या उत्पन्न हो जाती है, लेकिन जब दो बच्चे पढ़ रहे हो अर्थात जुड़वा बच्चे होने की जब लक्षण दिख रही हो तो यह समस्या अधिक हो जाती है और इस दौरान महिला में मॉर्निंग सिकनेस होने की समस्या भी उत्पन्न हो जाती है।

पेट मे अधिक मूवमेंट – जुड़वा बच्चे लड़का लड़का होने के लक्षण –

जब 2 बच्चे पल रहे हो तो गर्भवती स्त्री होने के बाद स्त्री को अपने पेट में मूवमेंट महसूस होने लगती है लेकिन जब जुड़वा बच्चे हो तो यह मूवमेंट समय से पहले होने लगता है । यह मूवमेंट यह दर्शाता है कि उसके पेट में जुड़वा बच्चे पढ़ रहे हैं।

इस दौरान गर्भवती महिला के पेट में एक होने पर बेबी बंप छोटा दिखता है लेकिन जब दो बच्चे होते हैं तो बेबी बंप अधिक दिखने लगता है यही जुड़वा बच्चे होने के प्रमुख लक्षण हैं।

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मूड का बार बार बदलना –

ऐसी स्त्री में जो जुड़वा बच्चों को अपने पेट में पाल रहे हैं उनमें मूड स्विंग अधिक होता है अर्थात कभी उनका मूड बिगड़ता है और कभी खुश मिजाज रहती हैं । यानी कहने का मतलब है कि जुड़ना बच्चों को गर्भ मे पालने वाली माँ का स्वभाव तेजी से बदलता रहता हैं । दूसरी तरफ उनको भूख भी ज्यादा लगती हैं ।

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जुड़वा गर्भावस्था 2 महीने –

गर्भावस्था के दौरान 2 महीने के अंतराल पर पता चल जाता है कि उस स्त्री में जुड़वा बच्चे हैं सामान्य अल्ट्रासाउंड के दौरान अक्सर भ्रूण की हलचल और वजन के आकार और उसकी आयु जैसे जानकारियों का पता लगने के लिए महिलाओं को अल्ट्रासाउंड करने की सलाह डॉक्टर के द्वारा दी जाती है। तभी प्रथम चरण में यह पता चल जाता है, कि उस महिला में दो बच्चे पल रहे हैं।

गर्भवती महिला को दसवीं सप्ताह में डॉक्टर सलाह देते हैं कि वह रूम डॉलर अल्ट्रासाउंड का परीक्षण करवाएं । इससे 12 सप्ताह के अंदर यह भी पता चल जाता है, कि बच्चे की स्थिति क्या है और उसकी संख्या क्या है।

जुड़वा बच्चे कैसे पैदा होते हैं –

सामान्य जुड़वा जो स्त्री के गर्भावस्था के दौरान निषेचित अंडे को अलग अलग गुणों में विभाजित हो जाता है तब सामान जुड़वा बच्चे पैदा होते हैं । इसका अर्थ है कि सामान ऐसे में अधिकतर लड़का लड़की होने के चांस अधिक होते हैं, लेकिन लड़का लड़का भी इस प्रक्रिया में सामान्य बात होती है।

अंडाणु में निषेचन के वक्त शुक्राणु में भाग लिया होगा यह एक्स क्रोमोसोम और वाई क्रोमोसोम में से किसी एक का ही वाहक होता है। इस दौरान एक्स क्रोमोजोम और वाई क्रोमोजोम में किसी एक को ही ले जाएं ताकि लड़का और लड़की पैदा हो सके यही कारण है कि शुक्राणु में एक्स क्रोमोजोम आर वाइ क्रोमोजोम एक साथ नहीं पाए जाते हैं इसी वजह यही वजह है कि रूप रंग में एक जैसे दिखते हैं परंतु उनके गुण में बहुत अंतर होते हैं।

  • जुड़वा बच्चों में अलग-अलग प्लेसेंटा होने के कारण इंटरनल ट्विंस की वजह है।
  • प्रेगनेंसी की यह टाइप में दोनों बच्चे एक प्लेसेंटा साझा करने के अलावा एक आंतरिक थैली भी साझा करते हैं उन्हें अक्सर मोमो ट्विंस भी कहा जाता है।
  • उन गर्भवती स्त्रियों में जिनमें शुक्राणु वाई वाई क्रोमोसोम वाले हो तो दोनों बच्चे लड़के लड़के पैदा होते हैं जब एक्स एक्स क्रोमोजोम वाले हो तो दोनों लड़की होते हैं ।
  • स्त्री के गर्भ में जब जुड़वा बच्चे हो तो अलग-अलग प्लेसेंटा एवं गर्भनाल से जुड़े रहते हैं बहुत कम ही एक नाम से रहते हैं जब एक नाल होते हैं तो ऐसे जुड़वा बच्चों को काइमेरिक जुड़वा कहा जाता है।

ट्विन्स बेबी प्रेगनेंसी टाइम । जुड़वा बच्चे की डिलीवरी कितने टाइम मे होती हैं ।

इस अवस्था में अक्सर लोग ऐसी दौर से गुजर रहे स्त्री को डॉक्टर के परामर्श के अनुसार ही उनके खान-पान का ध्यान रखते हैं ताकि बच्चे और मां दोनों हृष्ठ पुष्ट हो सके। यह अवस्था 9 महीने का होता है जिस दौरान प्रत्येक महीने की प्रत्येक अवस्था की चहल पहल मां को अपने बच्चों की अनुभव होते रहती है यह अनुभव उन्हें सुखद और स्नेह पूर्ण बनाती है। इस दौरान गर्भवती महिलाओं को हरी सब्जियां फल दूध और पौष्टिक आहार का भरपूर सेवन करना चाहिए क्योंकि उनके द्वारा इन सब चीजों के ग्रहण करने से ही बच्चे की भी पोषण होती है।

अंतिम शब्द – वैसे तो गर्भावस्था के दौरान जुड़वा बच्चों का होना बहुत रिस्की भी होता है । इसमें कुछ सावधानियां भी रखनी होती है, अर्थात डॉक्टरों के परामर्श से ही ऐसी स्त्रियों की देखभाल अनिवार्य है खाने पीने से लेकर और उनके रहन-सहन पर विशेष निगरानी की आवश्यकता होती है, विटामिन और आयरन की मात्रा उन्हें प्रचुर मात्रा में दी जाती है क्योंकि उस स्त्री के अंदर दो बच्चे पल रहे होते हैं । अर्थात ऐसी स्त्री को सामान्य गर्भवती स्त्री के अपेक्षा अधिक पौष्टिक आहार की आवश्यकता है ।

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