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Hepatitis C in hindi. हेपेटाइटिस सी एक संक्रामक रोग है, जो विषाणु जनित रोगों से पनपता है। इस वाइरल इन्फेक्शन में लीवर सबसे ज्यादा प्रभावित होता है। कई बार गम्भीर हालात भी हो जाते हैं। जिससे लीवर फेलियर या कैंसर भी हो जाता है। यह वायरस खून के जरिये एक से दूसरे व्यक्ति में प्रवेश करता है तथा संक्रमित कर देता है।
हेपेटाइटिस ( Hepatitis ) कई प्रकार के होते है जैसे ए, बी, सी आदि । यह एक प्रकार की संक्रमणित बीमारी है । जो लीवर को प्रभावित करती है । खानपान एवं सावधानी रखकर आसानी से बचा जा सकता है । हालांकि इनका टीका भी उपलब्ध है लेकिन हेपेटाइटिस सी का कोई टीका नहीं है । तो चलिए जानते है – Hepatitis C in hindi.
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हेपेटाइटिस सी क्या है ? What is Hepatitis C in hindi.
यह एक ऐसी बीमारी होती है, जो हेपेटाइटिस सी नामक विषाणु से संक्रमित होती है। इस संक्रमण के कारण हमारा लीवर क्षतिग्रस्त हो जाता है, जिससे शरीर की अन्य क्रियाओं में रुकावट आ जाती है। शूरूआत में इस बीमारी को पहचान पाना काफी मुश्किल होता है, फिर भी इसे कुछ लक्षणों के आधार पर पहचाना जा सकता है। हिपेटाइटिस सी 2 प्रकार का होता है – Genotype 1 एवं Genotype 3 जिनमें से जीनोटाइप 3 भारत मे पाया जाता है ।
हेपेटाइटिस सी के लक्षण ? Hepatitis C symptoms in hindi.
● पेट के अंदरूनी हिस्सो में दर्द, अकड़न व ऐंठन होती है।
● खाने का मन नही करता या बिलकुल भी भूख नही लगती है।
● सामान्य बुखार होता है एवं खुजली भी होती है।
● बहुत ज्यादा थकान महसूस होती है।
● पीलिया होने से भी इस बीमारी का खतरा रहता है।
हेपेटाइटिस सी के क्या कारण है ? Causes of Hepatitis C in hindi.
लीवर कमजोर होने के कारण हेपेटाइटिस सी की परेशानी होती है, ऐसे में यह जानना जरूरी है कि किन कारणों से लीवर कमजोर या खराब होता है। आइये जानते हैं –
● कई बार कुछ गरिश्ठ भोजन पच नही पाते या जिन्हें पचाने में लीवर को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है, यह भोजन पेट में सड़ जाते हैं और अनेक प्रकार के रोग उत्पन्न करते हैं। इससे लीवर खराब हो जाता है।
● किसी भी तरह के मादक पदार्थ, मांसाहार के अधिक मात्रा में सेवन से भी लीवर कमजोर हो जाते हैं।
● दवाईयों का अधिक मात्रा में सेवन करने से भी लीवर कमजोर हो जाते हैं।
● तले भुने खाने, अधिक मसालेयुक्त खाने या ज्यादा मिर्ची वाले खाने से भी लीवर खराब हो जाता है।
हेपेटाइटिस सी के लिए आयुर्वेदिक उपचार | Hepatitis C ka ayurvedic ilaaj.
हेपेटाइटिस सी को खतरनाक बीमारी बनने से रोकने के लिए आपको कुछ घरेलू उपाय आजमाने चाहिए।
● भोजन में नींबू, छुहारे, बादाम, किशमिश, आँवला, पालक, टमाटर के अलावा कई तरह के फलों को शामिल करें।
● गन्ने के रस में तुलसी के पत्तो को मिलाकर पेस्ट बना कर इसे 15 से 20 दिन तक लेने से रोगी को फायदा पहुंचता है।
● कपूर की जरा सी मात्रा शहद के साथ मिलाकर रोगी को खिलाने से लाभ होता है।
● हरी धनिया को बारीक़ काटकर, उसमे 7 तुलसी की पत्तियां डालकर 4 लीटर पानी में उबालें, जब पानी एक लीटर का हो जाये, तब उसे ठंडा होने दे फिर रोगी को दिन में, 3 बार पिलाएं। इससे लाभ होगा।
● मूली के रस के साथ तुलसी का पेस्ट बना कर खाने से भी लाभ होता है।
हिपेटाइटिस सी से बचाव । Hepatitis C se bachaw.
हिपेटाइटिस सी एक संक्रमणित रोग है । जो संक्रमणित व्यक्ति की सुई, रक्त या शारीरिक संबंध बनाने पर फैलता है । जबकि पसीने या अन्य कारणों से नहीं फैलता है । हिपेटाइटिस सी से बचाव इस प्रकार है –
● कुछ दिन सिर्फ फल ही खाये और ज्यादा से ज्यादा पानी पियें, तो भी लाभ होता है।
● बच्चो को हेपेटाइटिस सी के टीके अवश्य लगवाए।
● जंक फूड और फ़ास्ट फ़ूड से दूर रहे।
● हेपेटाइटिस सी से संक्रमित व्यक्ति द्वारा उपयोग की गयी इंजेक्शन और रेजर आपको भी संक्रमित कर सकता है, इसलिए इससे दूर रहे।
● हेपेटाइटिस सी से संक्रमित व्यक्ति से संबंध ना बनाये ।
● टैटू न बनवाये एवं नाक कान ना छिदवाए।
● संक्रमणित व्यक्ति से दूर रहे ।
हेपेटाइटिस सी की दवाईयां | Hepatitis C medicine.
हेपेटाइटिस ए और हेपेटाइटिस बी का तो टीका उपलब्ध है, पर हेपेटाइटिस सी का टीका उपलब्ध नही है। डॉक्टर इसका उपचार एंटी वायरल दवाइयों के जरिये करते हैं, जिससे आपके शरीर की सारे वायरस खत्म हो जाये। बारह या चौबीस सप्ताह तक एक या एक से अधिक दवाओं के जरिये इसका इलाज किया जाता है।
हेपेटाइटिस सी में क्या परहेज करें ? Hepatitis C ka parhej.
हेपेटाइटिस सी में कुछ चीजों को खाने से परहेज करना चाहिए, क्योंकि ये खाने आपके लीवर को खराब कर देते है, जिससे हेपेटाइटिस सी की समस्या जन्म लेती है।
● मसालेदार भोजन।
● मादक पदार्थ ।
● गरिश्ठ भोजन।
● बासी भोजन।
● मांसाहार।
हेपेटाइटिस सी में क्या खाएं ? Hepatitis C diet in hindi.
● रोजाना 3 प्लेट सब्जी खाये ।
● दूध दही से बनी चीजें लें ।
● प्रोटीन युक्त भोजन करे ।
● ग्रीन टी पियें ।
● कैफीन युक्त पदार्थ से दूर रहें ।
● साबुत अनाज का नियमित सेवन करें ।
● टमाटर का सूप लें ।
हेपेटाइटिस सी और एड्स में क्या अंतर है ?
एड्स और हेपेटाइटिस सी दोनों ही वायरस के जरिये फैलता है। दोनों ही संक्रामक रोग है जो खून के जरिये एक दूसरे तक पहुंचती है। हेपेटाइटिस सी लीवर पर आघात करती है, जिससे कैंसर का खतरा भी हो जाता है। इस बीमारी के अलग अलग तरह के संक्रमण होते हैं, जिन्हें ए, बी, सी, डी, ई में विभाजित किया गया है।अधिकतर मौते हेपेटाइटिस बी व सी के कारण ही होती है।
हेपेटाइटिस सी की क्या जटिलताएं है ? Hepatitis C risk factors.
यदि समय पर लक्षण पहचान कर जल्दी ही इलाज ना किया जाये, तो इस बीमारी के कारण अन्य रोग जन्म ले लेते हैं, जो हमारी गंभीर स्वास्थ्य समस्या का कारण बनते हैं, जैसे – सिरोसिस, यकृत कैंसर और यकृत विफलता।
हिपेटाइटिस सी के इलाज पर खर्च । Treatment of Hepatitis C in hindi.
हिपेटाइटिस सी का इलाज काफी महंगा है । इनका इलाज दो इंजेक्शन ( रिबाविरिन नामक दवा और इंटरफेरॉन ) के सयोजन से किया जाता है । लेकिन इनकी सफलता 50 – 50% थी । धीरे धीरे भारतीय दवाओं में परिवर्तन हुआ और डैक्लात्सवीर-सोफोसबुवीर कॉम्बिनेशन थेरेपी के बाद नया परिवर्तन आया ।
भारत में हिपेटाइटिस सी का इलाज 70 से 80 हजार में सम्भव है । वही अन्य देशों में भारत की तुलना में काफी महंगा किया जाता है ।
यकृत प्रत्यारोपण । Liver Transplant.
हेपेटाइटिस सी खून के जरिये फैलती है, इसलिए इसके लक्षण दिखाई नहीं देते है। लक्षण दिखाई ना देने की स्थिति में बीमारी की पहचान नही हो पाती और बीमारी काफी बढ़ जाती है। गंभीर हालत में सिरोसिस या यकृत कैंसर हो जाता है। चिकित्सक द्वारा कैंसर से बचाव के लिए रोगी का यकृत ट्रांसप्लांट किया जाता है। यकृत प्रत्यारोपण के पश्चात हेपेटाइटिस सी से संक्रमित मरीज बिलकुल ठीक हो जाता है।
अन्य विपरीत परिस्थितियों में चिकित्सक रोगी की विभिन्न तरीकों से उपचार करते हैं, जिससे रोगी हेपेटाइटिस सी से मुक्त हो जाये। इस बीमारी की जल्दी पहचान नही होती हैं, इसलिए खून जाँच करवाने के दौरान ही हेपेटाइटिस सी का टेस्ट भी करवाना चाहिए, क्योंकि यह बीमारी आगे बढ़कर इंसान की मौत का कारण भी बन जाती है। हम आपको डरा नही रहे अपितु सचेत कर रहे हैं कि समय रहते हेपेटाइटिस की पहचान कर इलाज करवाये एवं सुखमय जीवन व्यतीत करे।
समय पर नियमित इलाज मिलने से हैपेटाइटिस पूरी तरह ठीक हो जाता है, लेकिन सबसे जरूरी है कि इलाज समय पर और सही हो। साथ ही सही खानपान, परहेज से भी इस बीमारी को दूर किया जा सकता है ।। शिखा गोस्वामी ‘निहारिका’ छत्तीसगढ़ ।।