सारकॉइडोसिस के लक्षण । sarcoidosis disease in hindi.

sarcoidosis disease in hindi.


Sarcoidosis disease. एक बहुत दुर्लभ बीमारी है । इनकी तुलना केंसर जैसे घातक बीमारी से की जाती है । यह बीमारी शरीर के किसी एक हिस्से में होती है । इनके कारणों के बारे में कोई स्पष्ट अभी तक शोध नहीं हो पाया है । चुकी विशेषज्ञों के अनुसार sarcoidosis disease खान पान एवं विषेले वायरस के कारण होती है । भारत में इस बीमारी के मरीज़ प्रतिवर्ष एक से डेढ़ हजार पाये जाते है । इस बीमारी का इलाज अभी तक उपलब्ध नहीं है लेकिन समय पर ट्रीटमेंट लेकर इस नियंत्रित किया जा सकता है ।

इस बीमारी के मरीज़ों की संख्या प्रतिवर्ष 3 से 4 हजार है । इसी प्रकार ब्रिटेन में भी इजाफा हुआ है । एक शोध के अनुसार 30 से 40 प्रतिशत युवाओं में पाई जाती है । हालांकि sarcoidosis disease की कोई विशिष्ट उम्र होती है । एक शोध के अनुसार बच्चों में बहुत कम बीमारी पाई जाती है । इसी प्रकार 80 प्रतिशत 40 वर्ष ऊपर से अधिक लोगों में पता चलता है । तो आइए Global health tricks में जानते है sarcoidosis रोग के बारे में –

सारकॉइडोसिस के प्रभावित क्षेत्र | Effects of sarcoidosis disease.


सारकॉइडोसिस एक ऐसी बीमारी है जो शरीर के किसी एक भाग को प्रभावित करती है । उस भाग पर धीरे धीरे लक्षण नजर आते है । प्रत्येक भाग में अलग अलग लक्षण दिखाई देते है । मुख्य रूप से जिन भागो को प्रभावित करती है वे इस प्रकार है –
• फेफड़े
• स्किन
• लसिका ग्रन्थि
• जिगर
• ह्रदय
• दिमाग ।

सारकॉइडोसिस क्या है ?  what is sarcoidosis disease.

यह एक ऐसा रोग है जो धीरे धीरे मरीज़ को प्रभावित करता है । यह बीमारी किसी भी उम्र में एवं शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है । सारकॉइडोसिस का सटीक कारण अज्ञात है। हालांकि, लिंग, नस्ल और आनुवंशिकी इस स्थिति को विकसित करने के जोखिम को बढ़ा सकते हैं । सारकॉइडोसिस पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक आम है।

अफ्रीकी-अमेरिकी मूल के लोगों में इस स्थिति के विकसित होने की संभावना अधिक होती है। सारकॉइडोसिस के पारिवारिक इतिहास वाले लोगों में रोग होने का जोखिम काफी अधिक होता है। सारकॉइडोसिस शायद ही कभी बच्चों में होता है। लक्षण आमतौर पर 20 से 40 वर्ष की आयु के लोगों में दिखाई देते हैं।

सारकॉइडोसिस के कारण । causes of sarcoidosis disease –

इस बीमारी के कारणों के बारे में अभी तक कोई एकमत नहीं है फिर भी विशेषज्ञों के अनुसार कुछ sarcoidosis के कारण इस प्रकार है जैसे sarcoidosis के प्रमुख कारणों में से खानपान मुख्य कारण रहा है ।

आनुवंशिकता भी एक बड़ा कारण है यदि किसी परिवार में यह बीमारी है । इस रोग के मरीज़ है तो उनके परिवार के किसी सदस्य को होने के चांसेस होते है ।

सारकॉइडोसिस के लक्षण | symptoms of sarcoidosis in hindi.

sarcoidosis disease के लक्षण काफी सामान्य होते है । मगर शुरुआती लक्षणों को पहचान कर इनसे बचा जा सकता है । सारकॉइडोसिस वाले कुछ लोगों में कोई लक्षण नहीं होते हैं। हालांकि सामान्य लक्षणों में शामिल हो सकते हैं । जैसे –
थकान, बुखार, वजन घटना, जोड़ों का दर्द, शुष्क मुँह, नकसीर, पेट की सूजन आदि ।


फेफड़ों में सारकॉइडोसिस के लक्षण । symptoms of sarcoidosis for lungs –

आपके शरीर के उस हिस्से के आधार पर लक्षण अलग – अलग हो सकते हैं जो बीमारी से प्रभावित है। सारकॉइडोसिस किसी भी अंग में हो सकता है, लेकिन यह सबसे अधिक फेफड़ों को प्रभावित करता है। फेफड़े के लक्षणों में शामिल हो सकते है – सूखी खांसी, सांस लेने में कठिनाई, घरघराहट, आपके ब्रेस्टबोन के आसपास सीने में दर्द आदि ।

त्वचा पर सारकॉइडोसिस के लक्षण । symptoms of sarcoidosis for skin –

sarcoidosis disease. का प्रभाव जब स्किन पर होता है उन के लक्षण इस प्रकार हो सकते हैं – त्वचा के चकत्ते, त्वचा के घाव, बाल झड़ना, उभरे हुए निशान आदि ।


◆ तंत्रिका तंत्र के लक्षणों में शामिल हो सकते हैं –
दौरापन ( बेहोशी ), बहरापन, सिर दर्द आदि ।

आंखों पर सारकॉइडोसिस के लक्षण । Symptoms of sarcoidosis for eyes. –

इस बीमारी के बैक्टीरिया आंखों को प्रभावित करता है तो नेत्र लक्षणों से पहचाने जा सकते हैं जैसे – सूखी आंखें, आंखों में जलन, आँख का दर्द, दृष्टि खोना, आपकी आंखों में जलन, आपकी आंखों से एक तरल पदार्थ निकलना आदि ।

सारकॉइडोसिस का उपचार । Treatment of sarcoidosis disease.


सारकॉइडोसिस का निदान करना मुश्किल हो सकता है। लक्षण अन्य बीमारियों के समान हो सकते हैं, जैसे गठिया या कैंसर। निदान करने के लिए डॉक्टर कई तरह के परीक्षण करना चाहेंगे । सारकॉइडोसिस का उपचार करने से पहले आपका डॉक्टर कुछ टेस्ट करने को कहेंगे जैसे – त्वचा के सूजन या चकत्ते की जाँच, सूजे हुए लिम्फ नोड्स की तलाश, दिल और फेफड़ों की आवाज, बढ़े हुए जिगर या प्लीहा की जाँच, निष्कर्षों के आधार पर, आपका डॉक्टर अतिरिक्त नैदानिक ​​​​परीक्षणों का सुझाव दे सकते है ।

सारकॉइडोसिस की जांच । sarcoidosis test.


ग्रैनुलोमा और सूजी हुई लिम्फ नोड्स की जांच के लिए छाती के एक्स-रे का उपयोग किया जा सकता है। चेस्ट सीटी स्कैन एक इमेजिंग टेस्ट है जो आपकी छाती की क्रॉस-सेक्शनल तस्वीरें लेता है।


फेफड़े की कार्यक्षमता का परीक्षण यह निर्धारित करने में मदद कर सकता है कि आपके फेफड़ों की क्षमता प्रभावित हुई है या नहीं। बायोप्सी में ऊतक का एक नमूना लेना होता है जिसे ग्रेन्युलोमा के लिए जांचा जाता है। डॉक्टर आपके गुर्दे और यकृत के कार्य की जांच के लिए रक्त परीक्षण का सुझाव भी दे सकते हैं ।


सारकॉइडोसिस वाले लोगों के लिए दृष्टिकोण आम तौर पर अच्छा होता है। बहुत से लोग अपेक्षाकृत स्वस्थ, सक्रिय जीवन जीते हैं। लगभग दो वर्षों में उपचार के साथ या बिना उपचार के लक्षणों में अक्सर सुधार होता है। फेफड़ों का संक्रमण, मोतियाबिंद, जो आपकी आंख के लेंस के धुंधलापन हो जाती है ।


ग्लूकोमा, जो नेत्र रोगों का एक समूह है जो अंधापन का कारण बन सकता है, किडनी खराब, असामान्य दिल की धड़कन, चेहरे का पक्षाघात, बांझपन या गर्भधारण करने में कठिनाई । हालांकि, कुछ मामलों में, सारकॉइडोसिस एक दीर्घकालिक स्थिति बन सकती है। यदि आपको सामना करने में परेशानी होती है, तो आप एक मनोचिकित्सक से बात कर सकते हैं या एक सारकॉइडोसिस सहायता समूह में शामिल हो सकते हैं।


किसी भी उपचार की अवधि अलग-अलग होगी। कुछ लोग एक से दो साल तक दवा लेते हैं। अन्य लोगों को अधिक समय तक दवा पर रहने की आवश्यकता हो सकती है। स्टेरॉयड का सुझाव दिया जाता है प्रायः । किवा करक्यूमिन, एंटी एलर्जी, का प्रयोग अच्छे परिणाम लाता है । वैकल्पिक चिकित्सा का भी सहारा ले सकते है ।

सारकॉइडोसिस से कैसे बचें


पोषण व प्राकृतिक स्वास्थ्य विज्ञान संघ के अनुसार सारकॉइडोसिस से बचने के लिए निम्न उपायों से बचा जा सकता है जैसे

◆ खाने में बाहरी सामान का त्याग करें, खासकर ब्रेड, कोल्ड ड्रिंक, नूडल्स, मांस, मदिरा आदि ।

◆ संतुलित एवं स्वस्थ आहार लें ।

◆ अत्यधिक कैल्शियम आहार से बचें ।
◆ व्यायाम भी सिमित मात्रा में और किसी कुशल फिजिओथेरेपिस्ट की देख रेख में हीं करें ।


डॉ. सत्यम भास्कर
ओम प्रेम हास्पिटल दिल्ली
मेडिट्रस्ट हेल्थकेयर दिल्ली के डायरेक्टर

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