पुत्र प्राप्ति की देसी दवा – केवल लड़के के लिए आयुर्वेदिक उपाय

putra prapti ki desi dawa.

पुत्र प्राप्ति की देसी दवा । भारतीय परम्परा में बॉय का बहुत महत्व है । दूसरी बात यह है कि हर मैरिड कपल्स की चाहत होती हैं कि लड़के लड़की का अनुपात बराबर हो लेकिन कभी कभी कुदरत सिर्फ लड़कियों का जन्म देता हैं । यही कारण है कि हर कपल्स की चाहत पुत्र प्राप्ति की होती हैं । मगर यह प्रक्रिया गुनसूत्रों पर आधारित होती है । जिसे कोई नही बदल सकता है । विज्ञान भी नहीं … ।

असल लड़के को वंशज माना जाता हैं । जो बुढ़ापे का सहारा बनकर परिवार को आगे बढ़ाता है । क्योकि लड़किया बड़ी होने के बाद ससुराल चली जाती है । यही वजह है कि लोग पुत्र प्राप्ति की तलाश में रहते हैं । पुत्र रत्न प्राप्ति के लिए अनेको दवाओं, मंत्रो व देवी देवताओ की शरण लेते है । ऐसे मे देशी दवा भी एक बेहतरीन विकल्प है तो चलिए जानते हैं – लड़का कैसे पैदा होते हैं के बारे में –

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लड़का कैसे पैदा होते हैं –

शादीशुदा कपलस अक्सर यही चाहते है कि पहली या दूसरी संतान के रूप में केवल लड़का हो । इनके निरंतर प्रयास करते है, चाहे वो देसी दवा के रूप में हो या ईश के अस्था के रूप मे हो । वे लगातार शारीरिक सम्बन्ध बनाकर भी कोशिश करते हैं । विज्ञान के अनुसार मानव शरीर में गुनसूत्रों X और Y के कुल 46 पियर्स होते है । ये गुनसूत्र महिला के अंडे एव पुरुष के शुक्राणु मे उपस्थित होते है ।

अंडा फर्टिलाइज़ेशन के दौरान यदि XX गुनसूत्र मिल जाते हैं तो पैदा होने वाली संतान के रूप मे लड़की होती है । जबकि XY क्रोमोसोम मिल जाते हैं तो लड़का पैदा होता है । इन गुनसूत्रों के बदलाव का कोई विकल्प नहीं है क्योकि यह प्रक्रिया स्वत होती है । यही वजह है कि इनका कोई वैज्ञानिक आधार नही होता है । ये तो कुदरत की देन मात्र है ।

एक मान्यता यह है कि पीरियड्स के बाद 4, 6, 8, 10 और 12 वी रात में ठहरने वाले गर्भ से लड़का पैदा होता हैं । जबकि 5, 7, 9, 11 और 13 वी रात से लड़की पैदा होती हैं ।

इसी प्रकार केवल लड़के के लिए रतिक्रीड़ा से 1 घंटे पहले पति के बाई तरफ सोना चाहिए और रतिक्रिया सम्पन्न भी इसी पॉजिशन मे सम्पन्न होनी चाहिए ।

पुत्र प्राप्ति की देसी दवा –

जैसा कि पुत्र रत्न की प्राप्ति के लिए लोग कई तरह के जतन किए जाते हैं । कई तरह के उपाय किए जाते हैं । इन उपायो मे आयुर्वेदिक, देसी व धार्मिक आदि हो सकते हैं । लेकिन गर्भ में पलने वाले शिशु का लिंग बदलना या गुनसूत्र मे बदलाव करना किसी के लिए संभव नहीं है । इसमे मामले में विज्ञान ने भी हाथ खड़े कर दिये है ।

लेकिन आयुर्वेद ने कुछ उम्मीदें जगाई है । कुछ औषधिया है जिनका सेवन करने से नर गुनसूत्रों को बढ़ाया जा सकता है । जिससे पुत्र रत्न प्राप्ति की संभावना बढ़ सकती हैं तो चलिए जानते हैं – देशी उपाय के बारे में –

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अश्वगंधा – पुत्र प्राप्ति की देसी दवा –

यह एक आयुर्वेद की बहुत पॉवर फुल औषधि हैं जो महिला व पुरुष के लिए लाभदायक है । यह औषधि विभिन्न प्रकार के रोगों के उपचार के लिए उपयोगी है । इतना ही नही यह औषधि पुत्र प्राप्ति के लिए भी उपयोगी साबित हो सकती हैं । इनके लिए Ashwagandha की जड़ो का 25g चूर्ण बनाकर लगभग आधे लीटर पानी मे उबाले । इस पानी को तब तक उबाले जब तक एक चौथाई न रहे ।

अब 1/4 चूर्ण मे 100 ml दूध मिलाकर फिर से आच पर रखे । इसे तब तक रखे जब तक आधा ना हो जाए । अब फल घोल को साफ डिब्बे मे निकाल कर रख ले । अब इस desi दवा की 30g खुराक 1 चमच शुद्ध देसी घी के साथ मिलाकर सुबह शाम सेवन करे । इस दवा का सेवन कम से कम 3 महीने तक करे ।

सूरजमुखी के बीज – पुत्र प्राप्ति की देसी दवा –

लड़के की प्राप्ति के लिए यह बीज किसी रामबाण उपाय से कम नहीं है । यह बीज विटामिन ई का स्त्रोत माना जाता है । इनका डेली सेवन करने से Y क्रोमोसम की संख्या बढ़ जाती है । यह शुक्राणु बढ़ाने के लिए उपयोगी है । आयुर्वेद के अनुसार सबसे सरल उपाय है ।
इनका नियमित रूप से सेवन करने से मेल स्पर्म मे इजाफा होता है । जिससे अगली संतान के रूप में लड़का पैदा होने की संभावना बढ़ जाती है । इनका सेवन सुबह शाम किया जा सकता है ।

कैलावास फल पुत्र प्राप्ति की दवा –

आयुर्वेद के अनुसार कैलावास एक ऐसा फल है । जो पुरुष स्पर्म बढ़ाने मे कारगर है । इनका नियमित रूप से सेवन करने से पुत्र प्राप्ति की संभावना बढ़ जाती है । यह एक रामबाण इलाज है ।

इस desi दवा का सेवन कम से कम 3 माह तक रोजाना 50g की खुराक के रूप में करें । इस बात का भी ध्यान रखे कि लगातार नियमित रूप से अनुशासित खुराक का सेवन करे ।

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पुत्रजीवक से पुत्र प्राप्ति की पतंजलि दवा –

आयुर्वेद एव मान्यताओं के अनुसार यह एक ऐसा फल है जो महिला व पुरुषो के बाझपन दूर करने के लिए उपयोगी है । इनका सेवन करने से महिलाओ का गर्भाशय मजबूत होता हैं । वही पुरुषो मे नपुंसकता एव नामर्दी दूर करने के लिए रामबाण औषधि माना जाता है । यह फल एंटाइऑक्सीडेंट व एंटी इन्फेक्शन जैसे गुणों से भरपुर होने के कारण इ्युनिटी पॉवर को बूस्ट करता है ।

आयुर्वेद के अनुसार यह फल यौन उपचार के लिए लाभकारी है । एक मान्यता के अनुसार इनके बीजो की माला पहनते है जिससे न केवल बच्चा बल्कि जच्चा भी स्वस्थ रहते हैं । वही इनकी जड़, पत्ते का सेवन बछडे वाली गाय के दूध के साथ सेवन करने से पुत्र की प्राप्ति हो सकती है । निसंतान दम्पति के लिए यह रामबाण औषधि से कम नहीं है ।

पुत्र प्राप्ति के लिए शिवलिंगी के बीज से आयुर्वेदिक उपाय –

शिवलिंगी का बीज महिलाओ और पुरुषो के लिए एक रामबाण औषधि हैं । यह बीज विभिन्न प्रकार के पोषक तत्वों युक्त होने के दोनो के यौन विकारो के लिए उपचारित होता है । महिलाओ मे अनियमित मासिक धर्म विकार, गर्भाशय विकार, प्रजनन क्षमता की कमी जैसी प्रॉब्लम के उपयोगी माना जाता है । वही पुरुषो शुक्राणु विकार एव सभी मेल प्रॉब्लम के उपचार के लिए लाभकारी है । यही कारण है कि बाझपन के लिए यह रामबाण इलाज है ।

केवल पुत्र रत्न प्राप्ति के लिए shivlingi beej को पीसकर करके बच्छडे वाली गाय के दूध के साथ मिलाकर पीरियड्स के 4 दिन बाद से लगातार एक महीने के लिए सेवन करें । इसी प्रकार लड़की के लिए बछड़ी वाली गाय के दूध के साथ सेवन करें । यदि स्त्री किसी प्रकार चिकित्सकीय प्रॉब्लम नही है तो गर्भाधारण की संभावना शत प्रतिशत हो सकती है ।

इसी प्रकार पुत्र जीवक के बीज और शिवलिंगी के बीज को समानुपात मे मिश्री के साथ पीसकर दूध के साथ सेवन करने से गर्भधारण की संभावना हो सकती हैं ।

केवल पुत्र प्राप्ति के आयुर्वेदिक उपाय –

जब परिवार में लड़किया अधिक पैदा हो जाती है तो केवल पुत्र रत्न प्राप्ति की इच्छा इस कदर बढ़ जाती है कि कपल्स केवल लड़के के लिए तरह तरह के जतन करते है । सैकड़ो मन्नते, हजारों दुआओ का सहारा लेते है । लेकिन आयुर्वेद ने कुछ औषधिय उपाय बताए है जिससे पुत्र रत्न की प्राप्ति हो सकती है ।

आयुर्वेद के अनुसार लाल मखाने, शतावर, नागबाला, खरेती और गोखरू का चूर्ण बनाकर गाय के दूध मे सेवन करे । इस चूर्ण का सेवन महिला को रोजाना खाली पेट करना है । इनका सेवन करने के बाद कुछ न खाए पिए । इनका सेवन करते समय इस बात का भी ध्यान रखे कि महिला के पीरियड्स अनियमित न हो क्योकि इससे ओवुलेशन पीरियड्स का पता नहीं चलता है ।

अंतिम शब्द – जैसा कि आज के लेख में लड़के के लिए देसी व आयुर्वेदिक उपाय के बारे में बताया गया है । लेकिन गर्भ में पलने वाली संतान लड़का होगी या लड़की इस बात का फैसला केवल कुदरत ही करता हैं । विज्ञान के अनुसार यह प्रक्रिया अंडा निषेचन के दौरान तय होती है । उनके बाद कुछ नही हो सकता है ।
यह केवल गुनसूत्र ही निर्धारित करते है उनमे बदलाव करना किसी के हाथ में नहीं है । इसलिए कुदरत जो भी देता हैं उसे तोफा समझकर कबूल करने मे भलाई है । लड़का हो या लड़की यह सब कुदरत की देन मात्र है | LRseju.

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