मंकीपॉक्स क्या है । Monkeypox virus in hindi.

Monkeypox virus in hindi.

Monkeypox virus in hindi. आप चेचक, चिकनगुनिया, लाल दाने का संक्रमण इन सबके बारे में जानते हैं । लेकिन यह मंकीपॉक्स वायरस बंदरों से ही शुरु हुआ है इसलिए इस का नाम मंकीपॉक्स पडा । यह एक संक्रामक बीमारी है । जिस व्यक्ति को यह बीमारी हो जाए उसको छूने से, छींक से, खांसी से, मल से, मूत्र से, मरीज के पहने हुए कपड़े, सभी चीजों के संपर्क में हमें नहीं आना है, उससे दूर रहना है क्योंकि यह बिमारी छुने से फैलती है ।

हमें किसी को रक्तदान करते समय भी इन बातों का ध्यान रखना है कि जिसे हम रक्तदान कर रहा हैं वह किसी संक्रमित रोग वाला तो नहीं है या हम जिससे खून दे रहे हैं वह संक्रमित व्यक्ति तो नहीं है । Monkeypox virus in hindi.

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मंकीपॉक्स क्या है । What is Monkeypox virus in hindi.

मंकीपॉक्स मानव चेचक के समान एक दुर्लभ वायरस संक्रमण है। यह पहली बार 1958 में शोध के लिए रखे गए बंदरों में पाया गया था । मंकी पॉक्स से संक्रमण का पहला मामला 1970 में दर्ज किया गया यह रोग मुख्य रूप से मध्य और पश्चिम अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय वर्षावन वाले क्षेत्र में होता है और कभी-कभी अन्य क्षेत्रों में भी पहुंच जाया करता है।
मंकी पॉक्स का संक्रमण कैसे फैलता है ।

यह मंकीपॉक्स किसी संक्रमित व्यक्ति या जानवर के निकट संपर्क से, वायरस से, दूषित वस्तु के माध्यम से मनुष्यों में फैलता है । ऐसा भी माना गया है कि यह चूहे या गिलहरी जैसे जानवरों से भी फैलता है। यह रोग घाव, शरीर के तरल पदार्थ और दूषित सामग्री जैसे बिस्तर के माध्यम से फैलता है। यह वायरस चेचक की तुलना में कम संक्रमाक है और कम गंभीर बीमारी का कारण बनता है । चिकित्सा अधिकारियों का कहना है कि कुछ संक्रमण रोग यौन संपर्क के माध्यम से भी संचारित हो सकता हैं ।

संक्रमण एक्सपर्ट के विचार क्या है ? Monkeypox virus in hindi.

हैदराबाद के यशोधरा संक्रामक रोगों के सलाहकार डॉ मोनालिसा साहू के अनुसार मंकीपॉक्स एक दूर्लभ जूनोटिक बीमारी है । जो मंकीपॉक्स वायरस के संक्रमण के कारण होती है । मंकी पॉक्स वायरस पॉक्स विरिडे परिवार से रिलेटेड है । इसमें चेचक और चेचक को पैदा करने वाले वायरस भी शामिल होते हैं ।
अफ्रीका के बाहर, अमेरिका, यूरोप, सिंगापुर, ब्रिटेन, इटली, पुर्तगाल, स्पेन स्वीडन में मंकीपॉक्स के मामले अधिक सामने आए हैं । जो अंतरराष्ट्रीय यात्रा के दौरान वायरस से ग्रस्त लोगों के सम्पर्क में आए थे । भारत में अभी तक 3 लोग संक्रमित हुए हैं । कुल मिलाकर देखा जाए तो दुनिया के कई देशों में इनका संक्रमण पाया गया है । यही कारण है कि WHO ने चेतावनी भी दी है ।

मंकीपॉक्स के लक्षण क्या है ? Symptoms of Monkeypox virus in hindi.

मंकीपॉक्स से पीड़ित व्यक्ति को कई प्रकार की परेशानियां हो सकती है जैसे –
● आंखों में दर्द होना या आंखों से धुंधला दिखना ।
● सांस लेने में कठिनाई ।
● बार-बार बेहोश होना ।
● बार-बार दोरे पडना ।
● बार बार बुखार आना ।
● पेशाब में कमी होना ।
● सीने में दर्द होना ।
● पीठ और मांसपेशियों में दर्द होना ।
● त्वचा पर दाने और चकत्ते पडना ।
● खुजली की समस्या होना ।
● शरीर में सुस्ती आना ।
● लिम्फ नोड्स की सनजनल ।

Monkeypox ke lakshan in hindi.

चिकित्सकों का कहना है कि अधिक जोखिम वाले व्यक्ति पर मंकीपॉक्स के गंभीर प्रभाव की अधिक संभावना रहती है । कम इम्यूनिटी पावर वाले लोगों में संक्रमण का खतरा बना रहता है । वही कोमोर्बिडीटी से पीड़ित लोग अधिक जोखिम वाले हो सकते है । चिकित्सक का कहना है कि संक्रमित जानवरों के काटने से भी फैलता है । उनके खून या शरीर के तरल पदार्थ से भी हो सकता है ।

यदि हमें इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई दे तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें । इसमें मृत्यु दर का अनुपात लगभग 3 से 6% रहा लेकिन यह भविष्य में 10% हो सकता है हाल ही में संक्रमण प्रसार के दौरान मौत का कोई मामला सामने नहीं आया है ।

मंकीपॉक्स संक्रमण कितने दिन तक रहता है ?

यह संक्रमण 6 से 13 दिन तक लेकिन यह 4 से 21 दिनो तक रह सकता है । यूं तो उसमें बुखार 1 से 3 दिन के॰भीतर शुरू हो जाता है । ऐसा नहीं कि बीमारी का इलाज नहीं हैं बल्कि इसका बचाव ही इलाज है । चेचक का टीका मंकी 2 को रोकने के लिए 85% सही साबित हुआ है ।

मंकीपॉक्स कि शुरूआत कहॉ से होती है ?

मंकीपॉक्स की शुरुआत चेहरे से होती है । यह वायरस चेहरे से लेकर बाजू पैरों को शरीर के अन्य हिस्सों पर रैशेज होना । इस वायरस के दाने गले के बजाए चेहरे और हाथों पर ज्यादा दिखाई देते हैं । यह चेहरे और हाथों की हथेलियां और पैरों के तलवों पर ज्यादा दिखते हैं । यह पहले छोटे रूप में नजर आते हैं फिर गहन रूप धारण करते हैं जो काफी दर्दनाक व घाव वाले होते हैं ।

मंकीपॉक्स सबसे पहले कहां पाया गया ?

सबसे पहले इंसानों में इस वायरस की पहचान 1970 में रिपब्लिक ऑफ कांगो में एक 9 साल के लड़के में पाया गया । जबकि 1968 में स्मॉल पॉक्स को समाप्त कर दिया गया था । उसके बाद से अधिकतर ग्रामीण वर्षावन वाले क्षेत्रों में देखा गया । कांगो, बेसिन विशेष रूप से कांगो में मनुष्य में पूरे मध्य और पश्चिम अफ्रीका में तेजी से फैला हुआ पाया गया ।

1980 में चेचक के उन्मूलन और उसके बाद स्मॉल पॉक्स के टीकाकरण की समाप्ति के साथ ही मंकीपॉकस के रूप में सार्वजनिक स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत गंभीर प्रॉब्लम बनकर सामने आया है । Monkeypox virus एक डबल- स्ट्रैंडेड डीएनए वायरस है जो कि पॉक्स विरिडे परिवार के पॉक्स वायरस जींस से संबंधित है । फिर भी यह इलाज की दृष्टि से कम गंभीर है ।

मंकीपॉक्स कौनसे जानवरों से फैलता है ?

मंकीपॉक्स को कई जानवरों की प्रजाति के, वायरस के लिए जिम्मेदार माना गया है । इन जानवरों में रस्सी गिलहरी, डर्मीस, पेड़ गिलहरी, गैम्बिया पाउच वाले चूहे, गैर- मानव प्राइवेट और अन्य शामिल है । मंकीपॉक्स वायरस के प्राकृतिक कुछ लक्षण नहीं दिखाई दिए है, ये जानवरों से ही फैलता है ।

मंकीपॉक्स का इलाज । Treatment of Monkeypox virus in hindi.

मंकीपॉक्स का ट्रीटमेंट स्पेशल लेब में किया जाता है । जिससे कई तरह के अलग-अलग टेस्ट किए जाते हैं । त्वचा के घाव, पपड़ी को ठंडे वातावरण में एक स्टेराइल ट्यूब में रखा जाता है ।
इस संक्रमण का अभी तक कोई स्पेशल इलाज या इंजेक्शन कुछ भी नहीं है इस बीमारी को रोकने के लिए चेचक में लगाए जाने वाले चेचक के टीके 85% सही साबित हुए हैं ।

इस वायरस के शुरू होते ही तुरंत स्मॉल-पॉक्स ( Small pox ) का टीका लगाया जाए तो इस बीमारी को आसानी से रोका जा सकता है । नहीं तो यह काफी खतरनाक हो सकती है ।

Monkeypox se kaise bache

मंकीपॉक्स वायरस से कैसे बचे । Monkeypox se kaise bache.

मंकीपॉक्स, मुख्य रूप से इंफेक्टेड रोड ईस्ट चूहा गिलहरी आदि करने वाले जानवर और बंदरों से होता है ऐसे में इन से खुद को बचा कर रखना मन की फोकस से बचने का पहला सही कदम है ।
● पीड़ित मरीज से दूरी बनाकर रखें मास्क लगाएं ।
● पीड़ित व्यक्ति से शारीरिक संबंध ना बनाएं ।
● हाथों को अच्छी तरह साबुन से धोएं ।
● मरीज घावों को ढक कर रखें ।
● जब तक मरीज का संक्रमण खत्म नहीं हो जाए तब तक खुद को आइसोलेट रखना चाहिए ।

● यह वायरस, हमारे त्वचा आंख नाक और मुंह के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है
● यह संक्रमित जानवरों के काटने से या उनके खून, शरीर के तरल पदार्थ या छूने से भी हो सकता है ।
● बुखार आने पर पेरासिटामोल टेबलेट ले ।
● पानी अधिक मात्रा में पिए एवं पोष्टिक आहार खाए
● बूशमीट और अधपके मांस से भी इसका वायरस फैलता है । ऐसे में इस तरीके के मांस का सेवन करने से परहेज करें, तो इस वायरल संक्रमण से बच सकते हैं ।
● जो लोग इस वायरस से संक्रमित हो चुके हैं उनसे दूरी बना कर रखें ।
● पीड़ित व्यक्ति के पास जाने से पहले खुद को सुरक्षित रखें। मास्क पहने, ग्ल्ब्स पहने, दूरी बनाकर रखे।

Vaccine for Monkeypox virus in hindi.

इस वायरस का कोई टीका उपलब्ध नहीं है । एक सहायक व्यक्ति को लगाकर इंफैक्टेड व्यक्ति को हैंडल और उसकी जांच करते हैं, उन्हें भी डायरेक्ट ब्लड एक्स्पोज़र से बचना चाहिए । मंकीपॉक्स से पीड़ित मरीजों की जांच करने से पहले चिकित्सक को भी स्मॉलकॉक का टीका जरुर लगा लेना चाहिए ।
अंतिम बात – डॉक्टरों का कहना है कि यह संक्रमण पशु जनित बीमारी है । वैसे ये बीमारी 2 से 4 सप्ताह में ठीक हो जाती है । जब लोग मंकीपॉक्स देशों की यात्रा करते हैं तब यह संक्रमण प्रभावित होता है । लोगों को स्क्रीनिंग की जरूरत है उन्हें 21 दिन तक निगरानी रखना चाहिए । यह बीमारी जानलेवा बीमारी नहीं है ।
अंत में हम यह कह सकते हैं कि इस वायरस का इलाज है घबराने की बात नहीं है । थोड़ी हमें सावधानी रखनी है तो हम इस संक्रमण से बच सकते हैं ।। शिवा सिहंल आबुरोड ।।

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